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झारखंड के डीजीपी को लेकर केंद्र और राज्य में तकरार, केंद्र ने किया रिटायर, राज्य सरकार ने पद पर रखा बरकरार

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद गहरा गया है। केंद्र सरकार ने गुप्ता को 30 अप्रैल 2025 को 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त करने का निर्देश दिया, क्योंकि उनकी नियुक्ति को अखिल भारतीय सेवा नियमों और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ माना गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 अप्रैल और फिर 4 मई 2025 को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि गुप्ता का डीजीपी पद पर बने रहना अवैध है।

दूसरी ओर झारखंड सरकार ने अपनी नई नियमावली, ‘पुलिस महानिदेशक का चयन और नियुक्ति नियमावली-2025’ का हवाला देते हुए अनुराग।गुप्ता को दो साल के कार्यकाल के लिए डीजीपी बनाए रखने का फैसला किया। इस नियमावली को 8 जनवरी 2025 को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी, और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिश पर गुप्ता को 2 फरवरी 2025 को स्थायी डीजीपी नियुक्त किया गया।।राज्य सरकार ने केंद्र के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि नियुक्ति कानूनी है और झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे मामले के फैसले तक गुप्ता पद पर बने रहेंगे।

यह विवाद सियासी रंग भी ले चुका है। बीजेपी ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को नियम-विरुद्ध बताते हुए हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा, जबकि सत्तापक्ष ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की डीजीपी नियुक्ति नियमावली का हवाला देकर बचाव में जुटी है। बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 19 जून को होगी।

यह टकराव केंद्र-राज्य संबंधों में एक नया संवैधानिक सवाल खड़ा कर रहा है, खासकर डीजीपी नियुक्ति के नियमों और कार्यकाल की वैधता को लेकर। फिलहाल गुप्ता डीजीपी के पद पर बने हुए हैं, और केंद्र के अगले कदम का इंतजार है।

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