अनुराग गुप्ता से छिन सकती है DGP की कुर्सी? केंद्र सरकार ने झारखंड को तीसरी बार लिखा पत्र
झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव और गहराता जा रहा है। केंद्र सरकार ने तीसरी बार झारखंड सरकार को पत्र लिखकर अनुराग गुप्ता को DGP पद से हटाने का निर्देश दिया है। यह पत्र 27 मई 2025 को भेजा गया, जिसमें केंद्र ने स्पष्ट किया कि गुप्ता की नियुक्ति नियम-विरुद्ध है और उनकी सेवानिवृत्ति 30 अप्रैल 2025 को हो चुकी है।
केंद्र सरकार ने अपने पत्र में कहा कि अनुराग गुप्ता, जो 1990 बैच के IPS अधिकारी हैं, ने 60 वर्ष की आयु पूरी कर ली है और अखिल भारतीय सेवा (DCRB) नियमावली 1958 के अनुसार, उनकी सेवानिवृत्ति अनिवार्य है। केंद्र ने झारखंड सरकार द्वारा बनाई गई ‘पुलिस महानिदेशक चयन और नियुक्ति नियमावली-2025’ को अवैध करार देते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों और सेवा नियमों का उल्लंघन बताया। केंद्र ने यह भी उल्लेख किया कि DGP के पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम छह महीने की शेष सेवा अवधि आवश्यक है, जो गुप्ता के मामले में नहीं थी।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने अनुराग गुप्ता को DGP पद पर बनाए रखने का फैसला लिया है। राज्य सरकार ने केंद्र के पहले दो पत्रों (22 अप्रैल और मई की शुरुआत में) का जवाब देते हुए दावा किया था कि गुप्ता की नियुक्ति 8 जनवरी 2025 को मंजूर की गई नई नियमावली के तहत वैध है। इस नियमावली के आधार पर गठित चयन समिति, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा अध्यक्ष थे, ने गुप्ता को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए DGP नियुक्त किया था।
राज्य सरकार ने अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें DGP के लिए न्यूनतम दो वर्ष का कार्यकाल अनिवार्य बताया गया है। हालांकि, केंद्र ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि राज्य की नियमावली गैर-कानूनी है और सेवा विस्तार का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है।
इस बीच, राज्य के प्रधान महालेखाकार (PAG) कार्यालय ने गुप्ता को 30 अप्रैल 2025 से सेवानिवृत्त मानते हुए उनकी सैलरी शून्य कर दी है। इससे गुप्ता का वेतन ट्रेजरी से जारी होना असंभव हो गया है, जिसने विवाद को और जटिल बना दिया है।
केंद्र के तीसरे पत्र के बाद अब गुप्ता का DGP पद पर बने रहना और मुश्किल हो सकता है। यदि राज्य सरकार केंद्र के निर्देशों को नहीं मानती, तो यह मामला कानूनी और सियासी रूप से और उलझ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव केंद्र-राज्य संबंधों में नई तल्खी पैदा कर सकता है। फिलहाल, गुप्ता DGP के पद पर बने हुए हैं, लेकिन उनकी कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है।