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झारखंड शराब घोटाला : ACB जांच में नुकसान 136 करोड़ के पार, बाबूलाल मरांडी का हेमंत सोरेन पर सीधा हमला

झारखंड शराब घोटाला : ACB जांच में नुकसान 136 करोड़ के पार, बाबूलाल मरांडी का हेमंत सोरेन पर सीधा हमला

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रांची, 10 दिसंबर झारखंड में शराब आपूर्ति से जुड़े कथित घोटाले ने फिर तूल पकड़ लिया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की चल रही जांच में अब तक राज्य को 136 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान सामने आया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा प्रहार करते हुए इसे “लूट का लाइसेंस” करार दिया है।“अधिकारियों की बलि देकर खुद को बचाने की तैयारी”मरांडी ने बुधवार को जारी बयान में कहा, “हेमंत सोरेन सरकार अब एक बार फिर किसी नए अधिकारी को बलि का बकरा बनाकर खुद को बचाने की योजना बना रही है। लेकिन जिस रफ्तार से इनके घोटाले सामने आ रहे हैं, जल्द ही सरकारी अधिकारियों की संख्या भी कम पड़ जाएगी।”उन्होंने दावा किया कि शराब घोटाला पहले 38 करोड़, फिर 70 करोड़ और अब 136 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है। यह राशि अभी और बढ़ सकती है।

बिना टेंडर, बिना एग्रीमेंट शराब सप्लाई

मरांडी ने खुलासा किया कि नियम के मुताबिक झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) को शराब आपूर्तिकर्ता कंपनी के साथ पहले एग्रीमेंट करना था और अखबार में टेंडर प्रकाशित करना था। लेकिन जल्दबाजी में टेंडर निकाले बिना और बिना किसी लिखित समझौते के एक निजी कंपनी को शराब सप्लाई का ठेका दे दिया गया।“इतनी बड़ी गलती किसके इशारे पर हुई, यह बताने की जरूरत नहीं है,” मरांडी ने कहा।ACB की प्रारंभिक रिपोर्ट में भी यही तथ्य सामने आए हैं कि अनियमितताओं के चलते राज्य को 136 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ।“

जेल जाना पड़े तो क्या हर्ज, लूट लो जितना हो सके”विपक्ष नेता ने मुख्यमंत्री के पुराने बयान का जिक्र करते हुए तंज कसा, “इतने बड़े घोटालेबाज पूरे राज्य में सिर्फ एक ही हैं, जो कहते हैं – करोड़ों कमाने के लिए जेल भी जाना पड़े तो क्या हर्ज है! इनका असली मंत्र है – जितना और जहाँ से हो सके, लूट लो।”

केंद्र की एजेंसियों से निष्पक्ष जांच की मांग

मरांडी ने चेतावनी दी कि ACB का शिकंजा चाहे असली गुनहगारों तक पहुँचे या नहीं, केंद्र सरकार की एजेंसियाँ इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच जरूर करवाएंगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे खुद CBI जांच की सिफारिश करें, जैसे छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में हुआ था।

सरकार की चुप्पी बरकरार

मुख्यमंत्री कार्यालय और सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की ओर से इस नए 136 करोड़ के आँकड़े और भाजपा के आरोपों पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह मामला झारखंड की सियासत में बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है। अगर CBI जांच शुरू हुई तो दिल्ली और छत्तीसगढ़ के शराब घोटालों की तर्ज पर यह झारखंड का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार कांड साबित हो सकता है।

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