20250428 140155

झारखंड : गिरिडीह तिसरी अंचल में सीओ को बंधक बनाने के बाद आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प..रजिस्टर-टू-विवाद के खिलाफ 20 दिनों से धरना

झारखंड के गिरिडीह जिले के तिसरी अंचल में रजिस्टर टू की सत्यापित प्रति न देने के विरोध में किसान जनता पार्टी (किजपा) द्वारा चलाए जा रहे अनिश्चितकालीन धरने के 20वें दिन  स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इस दौरान अंचल अधिकारी (सीओ) को बंधक बनाए जाने की घटना के बाद प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें पथराव, लाठीचार्ज और कई लोगों के घायल होने की खबर है।
 धरने का कारण
तिसरी अंचल में रजिस्टर टू (जमीन के स्वामित्व से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज) की सत्यापित प्रति न देने के विरोध में किसान जनता पार्टी पिछले 20 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना दे रही थी। किजपा के नेताओं और स्थानीय किसानों का आरोप है कि तिसरी अंचल अधिकारी (सीओ) अखिलेश प्रसाद ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश (रिट याचिका संख्या 5925/2022, 27 फरवरी 2024) और अपर समाहर्ता, गिरिडीह के निर्देश (पत्रांक 1854/2024) के बावजूद रजिस्टर टू की सत्यापित प्रतियाँ देने में आनाकानी की।
किसानों का दावा है कि:
तिसरी अंचल में हजारों आवेदन शुल्क के साथ जमा किए गए, लेकिन सीओ ने प्रतियाँ देने से इनकार कर दिया।
अन्य अंचलों जैसे जमुआ, बगोदर और गांडेय में बिना रिश्वत के रजिस्टर टू की प्रतियाँ उपलब्ध कराई जा रही हैं, जबकि तिसरी और बेंगाबाद में रिश्वत की माँग की जा रही है।
सीओ पर आरोप है कि वह जमीन के मूल स्वामित्व रिकॉर्ड में गलत तरीके से बदलाव कर रहे हैं, जिससे आदिवासी और स्थानीय किसानों की जमीनें प्रभावित हो रही हैं।
किजपा के केंद्रीय अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय ने चार सप्ताह के भीतर रजिस्टर टू की प्रतियाँ देने का आदेश दिया था, लेकिन तिसरी अंचल में इसे लागू नहीं किया जा रहा। धरने का उद्देश्य प्रशासन पर दबाव बनाकर इस आदेश का पालन सुनिश्चित करना और भ्रष्टाचार को उजागर करना था।
घटना
20वें दिन धरने के दौरान स्थिति तब बिगड़ गई जब किजपा कार्यकर्ताओं ने तिसरी अंचल के सीओ अखिलेश प्रसाद को कार्यालय के अंदर बंधक बना लिया। इसकी सूचना मिलने पर वरिष्ठ अधिकारी और पुलिस बल मौके पर पहुँचे। अधिकारियों ने सीओ को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।
झड़प और पथराव: बातचीत विफल होने पर मामला हिंसक हो गया। आंदोलनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हो गए। अंचल परिसर में खड़े वाहनों को नुकसान पहुँचा।
लाठीचार्ज: स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे और तनाव बढ़ गया। लाठीचार्ज में कई आंदोलनकारी घायल हुए।
तनावपूर्ण माहौल: हिंसा के बाद तिसरी अंचल और आसपास के इलाकों में तनावपूर्ण स्थिति बन गई। पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात किया ताकि स्थिति और न बिगड़े।
पहले के घटनाक्रम
यह पहली बार नहीं था जब तिसरी अंचल में रजिस्टर टू विवाद को लेकर तनाव बढ़ा। हाल के महीनों में कई बार किजपा ने धरने और प्रदर्शन किए हैं:
10 अप्रैल किजपा ने तिसरी अंचल कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने का ऐलान किया। इस दौरान कार्यालय के मुख्य गेट को जाम कर दिया गया, जिससे बीडीओ और सीओ सहित कर्मचारियों को अंदर जाने से रोका गया।
18 अप्रैल : खोरीमहुआ एसडीपीओ राजेंद्र प्रसाद और थाना प्रभारी रंजय कुमार की मध्यस्थता के बाद आंदोलनकारियों ने गेट का जाम हटाया, लेकिन धरना जारी रखा। एसडीएम ने 15 दिनों में 32 मौजा के रजिस्टर टू की प्रतियाँ देने का आश्वासन दिया था, जो पूरा नहीं हुआ।
पिछले प्रदर्शन: किजपा ने फरवरी और मार्च  में भी गिरिडीह के झंडा मैदान में धरने दिए और शहर में प्रदर्शन किए। इनमें रिश्वतखोरी और अंचल अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ नारेबाजी की गई।
किजपा के आरोप और माँगें
किजपा के नेता अवधेश सिंह और अन्य कार्यकर्ताओं ने निम्नलिखित आरोप लगाए:
तिसरी अंचल अधिकारी रजिस्टर टू में गलत तरीके से जमीन के स्वामित्व में बदलाव कर रहे हैं, जिससे आदिवासी और मूलवासी किसानों की जमीनें खतरे में हैं।
सीओ ने 150 आदिवासी किसानों पर मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी ताकि आंदोलन को दबाया जा सके।
रजिस्टर टू की प्रतियाँ न देने के लिए अंचल कर्मी रिश्वत माँगते हैं, और कई बार शुल्क जमा होने के बावजूद आवेदन रद्द कर दिए जाते हैं।
किजपा की प्रमुख माँगें हैं:
तिसरी अंचल में रजिस्टर टू की सत्यापित प्रतियाँ तुरंत उपलब्ध कराई जाएँ।
भ्रष्टाचार में लिप्त अंचल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और उनकी संपत्ति की जाँच।
झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन हो ।
प्रशासन का रुख
प्रशासन ने इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन बार-बार आश्वासन देने के बावजूद रजिस्टर टू की प्रतियाँ उपलब्ध नहीं कराई गईं। बीडीओ मनीष कुमार और सीओ अखिलेश प्रसाद ने आंदोलनकारियों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज की थी, जिसमें कार्यालय के कामकाज में बाधा डालने का आरोप लगाया गया। खोरीमहुआ एसडीपीओ ने कहा कि 15 दिनों में मामले का निपटारा करने का वादा किया गया था, लेकिन यह समयसीमा भी बीत चुकी है।
वर्तमान स्थिति
27 अप्रैल की हिंसक झड़प के बाद तिसरी में तनाव बना हुआ है। पुलिस ने क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात किया है, और प्रशासन मामले को शांत करने की कोशिश कर रहा है। किजपा ने धरना जारी रखने की बात कही है और चेतावनी दी है कि अगर उनकी माँगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज होगा।
जाहिर है यह घटना गिरिडीह जिले में भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी और प्रशासनिक भ्रष्टाचार की गहरी समस्या को उजागर करती है। रजिस्टर टू जैसे दस्तावेज किसानों के लिए अपनी जमीन के स्वामित्व को साबित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इनके गलत उपयोग से आदिवासी और गरीब किसानों की आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद स्थानीय प्रशासन का गैर-जिम्मेदाराना रवैया इस तनाव का मुख्य कारण बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via