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प्राकृतिक जैविक जीवनशैली से बढ़ेगी जिन्दगी : बेलजी.

सिमडेगा : दूषित खान पान व तेज रफ्तार जिंदगी में मनुष्य का शारीरिक क्षमता छीन व उम्र घटती जा रही, ऐसे में अष्टांग जीवन दर्शन प्रकृति व आयुर्वेद भारतीय जीवन शैली से खोई हुई शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक उत्थान संभव है। रासायनिक खेती से उत्पन्न फसल के खान पान से बढ़ती बीमारियों से बचने के लिए जैविक जीवनशैली विज्ञान मिशन के द्वारा सोगडा में दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन मे मुख्य अतिथि ओम अष्टांग जीवन दर्शन गुरुकुलम के पद्धति को लेकर जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन भोपाल के संस्थापक ताराचंद बेलजी ने रसायनिक जीवनशैली को प्राकृतिक जैविक जीवन शैली विज्ञान का प्रशिक्षण दिया।

खानपान का हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है इसकी जीवंत झांकी ग्रामीणों व पत्रकारों ने देखी। जीवन में जहर घोलते खानपान पहनावा व मंहगी रासायनिक खेती को सस्ता और जहर मुक्त बनाने के लिए 200 वर्ष पूर्व अंग्रेजों द्वारा नष्ट की गई प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का पुणे का लक्ष्य लेकर चल रहे बेलजी। भारत रत्न नाना साहब देशमुख और राजीव दीक्षित के प्रेरणा से बना जैविक जीवनशैली विज्ञान संस्था के द्वारा किसानों को विशेष प्रशिक्षण दिए गए। वहीं इसके हकीकत के प्रभाव लोगों को व्यावहारिक कर दिखाया गया, कि कैसे जैविक विधि कारगर है।

लोगों को दिखाया गया कि कैसे पंचगव्य हवन के भस्म से घोल तैयार कर मिट्टी में छिड़काव कर मिट्टी की शक्ति बढाई जा सकती है। संस्था के लोगों ने जो प्रैक्टीकल दिखाया वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। महज एक बाए भस्म घोल का छिड़काव कर दिखाया गया कि कैसे मिट्टी की नेगेटिव ऊर्जा को खत्म कर पॉजिटिव उर्जा मिट्टी में बढ़ाया जा सकता है। संस्था के संस्थापक ताराचंद बेलजी ने कहा कि संस्था बिना सरकारी सहायता लिए लोगों की जीवनशैली को जैविक बना कर जीवन बचाने का काम कर रही है।

सोगड़ा की महिलाओं ने संस्था के लोगों का भव्य स्वागत स्वागत गान करते हुए बुके देकर किया। ताराचंद बेलजी ने कई तरह के आसान घरेलु उपाय बता कर रसायनिक जहर से दूर रहने के तरीके बतलाते हुए कई बीमारियों से बचने के जैविक उपाय बताए। उन्होंने लोगों को मिट्टी की शक्ति समझाई। इस दौरान कई मीडियाकर्मियों पर भी प्रैक्टीकल कर दिखाए गए कि किस तरह लोग टूथपेस्ट, साबुन रिफाइंड तेल, नमक, चीनी प्लास्टिक पॉलिस्टर कपड़े आदि के बुरे प्रभाव प्रयोग से कमजोर होते जा रहे है। उन्होंने बाजार में स्वाद और सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में बिक रहे जहरीले पदार्थों के बारे में भी जानकारी दी। बेल जी ने लोगों से अष्टांग जीवन दर्शन व जैविक जीवन शैली की ओर लौटने का आग्रह किया।

सम्मेलन के दौरान संस्था ने सोगडा के राधेश्याम प्रसाद को प्रदेश अध्यक्ष बनाते हुए इस अभियान को आगे बढाने की जिम्मेवारी व दायित्व दी है। सम्मेलन में शामिल होने आए विभिन्न जिलों के लोगों को उनके क्षेत्र में भी इस अभियान को चला कर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

सिमड़ेगा, शम्भू कुमार सिंह

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