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झारखंड में मिड-डे -मील योजना पर भ्रष्टाचार का आरोप, बीजेपी ने हेमंत सरकार को घेरा

झारखंड में मिड-डे मील योजना पर भ्रष्टाचार का आरोप, बीजेपी ने हेमंत सरकार को घेरा
रांची, 13 मई : झारखंड में मिड-डे मील योजना एक बार फिर विवादों के घेरे में है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हेमंत सोरेन सरकार पर इस योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का आरोप लगाया है। बीजेपी की झारखंड इकाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में दावा किया कि साहिबगंज में योजना के तहत गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जबकि बाधमारी स्कूल में पिछले पांच महीनों से मिड-डे मील पूरी तरह बंद है।
बीजेपी ने अपने पोस्ट में लिखा, “हेमंत सरकार में मिड-डे मील बना घोटाले का मील। साहिबगंज में भारी गड़बड़ी, बाधमारी स्कूल में 5 महीने से मिड-डे मील बंद। बच्चों का निवाला भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। शिक्षा और पोषण पर हमला।” पार्टी ने सवाल उठाया कि हेमंत सरकार कब जागेगी और झारखंड की बदहाली का जिम्मेदार कौन है?
योजना की स्थिति और उद्देश्य
झारखंड राज्य मिड-डे मील प्राधिकरण की स्थापना 31 मार्च 2014 को हुई थी, जिसका लक्ष्य सरकारी स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। योजना के तहत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को 480 कैलोरी और 13 ग्राम प्रोटीन, जबकि कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 720 कैलोरी और 20.6 ग्राम प्रोटीन वाला भोजन देना तय है। वर्तमान में राज्य के 35,773 स्कूलों में 32.95 लाख बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। हालांकि, बीजेपी का आरोप है कि भ्रष्टाचार के कारण यह लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच रहा।

पहले भी उठ चुके हैं सवाल
मिड-डे मील योजना की खामियां पहले भी सामने आ चुकी हैं। 2018-19 में 1,256 स्कूलों के सामाजिक अंकेक्षण में भोजन की गुणवत्ता, खाद्यान्न आपूर्ति में देरी और संसाधनों की कमी जैसी समस्याएं उजागर हुई थीं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5, 2019-20) के अनुसार, झारखंड में 39.4% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, जो योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है।

 

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