झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट रजनीश वर्धन की पत्नी की ओर से दायर किया गया हैवीअस कॉपस,अगली सुनवाई 25 नवंबर को।

नियमावली 2021 को चुनौती देने वाले याचिका को हाईकोर्ट ने किया स्वीकार 1 दिसंबर 2021 से होगी सुनवाई।

नियुक्ति नियमावली व झारखंड कर्मचाती चथन आयोग परीक्षा (परीक्षा संचालन संशोधन) नियमावली-202। को चुनौती देने वाली याचिका पर झरखंड हहकोर्ट सुनवाई करेगा. प्राथी की ओर से पूर्व महणिवक्ता व वगीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने मामले की जल्द सुनवाई
के लिए जस्टिस डॉ रति रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ से आग्रह किया. खंडपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए एक दिसंबर की तिथि निधोरित की,रमेश हांसव व कुशल कुमार ने याचिका दायर की है. उन्होने याचिका में
कहा है कि राज्य के शिक्षण संस्थानों से ।0वीं तथा 12वीं पास अभ्यर्थियों को है पक्ष में शामिल होने संबंधी प्रावधान रखा गया है. इस प्रावधान को अनिवार्य करने से संविधान की मूल भावना समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है.

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झारखंड का निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से शिक्षा प्राप्त करेवाले अभ्यर्थियों को निय्ति परक्षा में शमिल होमे से नहीं गेका जा सकता है. इसके अलावा स्थानीय भाषाओं में हिंवे व आऔजीको शमिल नहीं कियागया है. उसे जहर कर दिया गया है. वहीं बांग्ला, उदूव उडडिया भाषा सहित ॥2 अन्य स्थानीय भाषाओं को नियमावली में रखा गया है. उद्दृंको जनजातीय भाषाकी त्रेण में रखा जाना सही नहीं है. राज्य में सरकारी विद्यालयों मे पद का मध्यम हिंद है. उर्दू की पढ़ाई एक खास का के लोग ची मदससा मे करते हैं. वैसी स्थित में हिंदी भी बाहुल अभ्यर्थियों के अवसर में कटौती करना तथा किसी खाल वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना संवेधान की भावना के अनुरूप नहीं है. प्रिय ने नियमावली को असंवैधानिक लाते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है।

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