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ग्रामीण महिलाओं के बनाए गुलाल से लोगों के चेहरे खिलेंगे

ग्रामीण महिलाओं के बनाए गुलाल से लोगों के चेहरे खिलेंगे

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं स्वावलंबी बनने के साथ-साथ हो रही है आत्मनिर्भर

सिमडेगा से नरेश

सिमडेगा जिले में नारी सशक्तिकरण की मिसाल पेश करती हुई अब महिलाएं परिवार के बीच की खुशियां नहीं बांट रही बल्कि सामाजिक तौर पर लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखरने का काम कर रही हैं। ऐसी महिलाओं को अधिकार उनकी उपलब्धियां और समाज में उनकी भूमिका को सम्मान दिया जा रहा है, महिलाएं अवसर को उत्सव में बदलकर राष्ट्र, राज्य व समाज को नई दिशा प्रदान कर रही हैं। ऐसा ही सिमडेगा जिले में भी हो रहा है इस होली में गांव की महिलाओं के हाथों से तैयार प्राकृतिक अबीर व गुलाल लोगों के चेहरों पर लगेगी।

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ठेठईटांगर प्रखंड के चांदनी आजीविका स्वयं सहायता समूह एवं पाकरटांर के विकास आजीविका स्वयं सहायता समूह सहित बानो प्रखंडों के द्वारा प्राकृतिक विधि से पलाश ब्रांड अंतर्गत पलाश हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। प्राकृतिक गुलाल बनाने हेतु सूखे हुए पलाश के फूलों का प्रयोग किया जाएगा। जिसमें हरा रंग बनाने हेतु सूखा हुआ पलक साग, गुलाबी रंग बनाने हेतु चुकंदर, पीला रंग बनाने हेतु हल्दी एवं फूल, लाल रंग के लिये फूल का प्रयोग किया जा रहा है। जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। इस प्रकार के गुलाल त्वचा को किसी भी प्रकार से नुकसान नही पहुंचता।

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समूह की दीदियों का गुलाल बनाने का उत्साह होली पर्व के उमंग को और दुगना कर रहा है। जिले में लगभग 200 किलो ग्राम का प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जा रहा है।समूह की उद्यमी दीदियों के द्वारा इस प्रकार का प्रयास अन्य के लिये प्रेरणा का स्त्रोत एवं महिला सशक्तिकरण के लिए निश्चय ही मिल का पत्थर साबित होगा।

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