88 वर्ष की उम्र में पोप फ्रांसिस का निधन..शोक की लहर ..
पोप फ्रांसिस का निधन…
पॉप फ्रांसिस जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था, का निधन 21 अप्रैल, 2025 को 88 वर्ष की आयु में हुआ। उन्होंने वेटिकन सिटी के कासा सांता मार्टा में अपनी अंतिम सांस ली। वेटिकन की आधिकारिक घोषणा के अनुसार, उनकी मृत्यु ईस्टर सोमवार को हुई।
पोप फ्रांसिस लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।
पोप फ्रांसिस को हाल ही में रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उनका इलाज चल रहा था। वे 24 मार्च, 2025 को अस्पताल से कासा सांता मार्टा लौटे थे। अस्पताल से लौटने के बाद उन्होंने जनता को आशीर्वाद दिया था, जिसे देखकर लोग आशान्वित हुए थे।
ईस्टर पर अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति: ईस्टर (20 अप्रैल, 2025) के अवसर पर पोप फ्रांसिस लंबे समय बाद सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए थे।
पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर, 1936 को ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में हुआ था। वे 13 मार्च, 2013 को पोप चुने गए और कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने। वे पहले लैटिन अमेरिकी और जेसुइट पोप थे। उनके कार्यकाल में उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए
पोप फ्रांसिस अपनी सादगी के लिए विश्वविख्यात थे। वे अक्सर गरीबों, शरणार्थियों और हाशिए पर रहने वालों के साथ समय बिताते थे, जिसने उन्हें जनता का प्रिय बनाया।
पोप फ्रांसिस ने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शरणार्थी अधिकार, और धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी।
उनके पर्यावरण संबंधी दस्तावेज “लाउदातो सी” ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने कैथोलिक चर्च में पारदर्शिता और सुधार की दिशा में कई कदम उठाए। उनका मानना था कि चर्च को आधुनिक चुनौतियों के साथ तालमेल बिठाना चाहिए, न कि केवल परंपराओं में बंधा रहना चाहिए
पोप फ्रांसिस ने विभिन्न धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया। 2019 में उन्होंने अबू धाबी में ग्रैंड इमाम अहमद अल-तय्यब के साथ एक ऐतिहासिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जो मानव बंधुत्व को बढ़ावा देने वाला था।
पोप फ्रांसिस के निधन की खबर से विश्वभर में शोक की लहर दौड़ गई।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विश्व के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
पोप के उत्तराधिकारी और भविष्य—
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद, कैथोलिक चर्च में नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया (कॉन्क्लेव) शुरू होगी। कार्डिनल्स की सभा वेटिकन में एकत्रित होगी और गुप्त मतदान के माध्यम से नए पोप का चयन करेगी।
पोप फ्रांसिस का निधन न केवल कैथोलिक समुदाय बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी सादगी, मानवता, और सामाजिक मुद्दों पर प्रगतिशील विचारधारा ने उन्हें एक युग-प्रवर्तक नेता बनाया। उनके निधन के बाद, विश्वभर में उनके योगदान को याद किया जा रहा है।