निशिकांत दुबे के बयान पर झामुमो का पलटवार कहा , BJP देश में मनुस्मृति लागू करना चाहती है
बीजेपी के फायर ब्रांड नेता निशिकांत दुबे के दिये बयान पर झारखंड के सत्ताधारी पार्टी JMM ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है । पलटवार करते हुए JMMके केंद्रीय समिति सदस्य विनोद कुमार पांडेय ने BJP और उसके सांसद निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके बयान के अनुसार, BJP देश में मनुस्मृति लागू करना चाहती है और संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है की निशिकांत दुबे के एक बयान के बाद पूरे देश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है जिसमे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को लेकर टिप्पणी की थी। JMM ने इन बयानों को लोकतंत्र विरोधी करार दिया है और दुबे को BJP से निष्कासित करने की मांग की है।
1. निशिकांत दुबे के बयान और विवाद
निशिकांत दुबे ने कहा:
“अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है, तो संसद को बंद कर देना चाहिए।”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर “हद से आगे जाने” और देश को “अराजकता” की ओर ले जाने का आरोप लगाया।
दुबे ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य “चेहरा देखकर कानून लागू करना” है और उसने देश में “धार्मिक युद्ध” को बढ़ावा दिया है।
20 अप्रैल को, दुबे ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी पर भी हमला बोला, उन्हें “मुस्लिम आयुक्त” कहकर संबोधित किया और आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाया गया।
2. JMM का आरोप: मनुस्मृति और संवैधानिक संस्थाओं पर हमला
JMM ने निशिकांत दुबे के इन बयानों को BJP की व्यापक रणनीति का हिस्सा बताया।
मनुस्मृति लागू करने की मंशा: JMM का दावा है कि BJP देश के संवैधानिक ढांचे को खारिज कर मनुस्मृति लागू करना चाहती है, जो एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है और अक्सर अपनी जाति-आधारित व्यवस्था के लिए विवादित रहा है।
संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा: JMM का आरोप है कि BJP ने चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय (ED), और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर किया है। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर भी BJP दबाव बना रही है, खासकर जब फैसले उनकी मंशा के अनुरूप नहीं होते।
न्यायपालिका पर हमला: JMM का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, और अल्पसंख्यकों का अंतिम सहारा है। दुबे के बयान इस विश्वास को कमजोर करने की कोशिश हैं। JMM ने सुप्रीम कोर्ट से भी दुबे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
विभाजनकारी सोच: JMM ने दुबे पर संथाल परगना को झारखंड से अलग करने की बात उठाने का आरोप लगाया, जो पहले भी उनके बयानों में सामने आ चुका है। JMM का कहना है कि BJP की सोच देश को बांटने वाली है और यह हिंदू-मुस्लिम तनाव को बढ़ावा देती है।
3. BJP की प्रतिक्रिया
BJP ने निशिकांत दुबे के बयानों से दूरी बनाई है:
BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने 19 अप्रैल को स्पष्ट किया कि पार्टी दुबे और सांसद दिनेश शर्मा (जिन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी) के बयानों से सहमत नहीं है। नड्डा ने कहा कि BJP न्यायपालिका का सम्मान करती है और ये बयान सांसदों के निजी विचार हैं।
दुबे ने भी दावा किया कि उनके बयान निजी थे और उन्होंने पार्टी से इस पर कोई चर्चा नहीं की थी।
हालांकि, पश्चिम बंगाल की BJP विधायक अग्निमित्रा पॉल ने दुबे का समर्थन किया और कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही देश चलाएगा, तो संसद की जरूरत नहीं है।
BJP की इस दूरी के बावजूद, JMM और अन्य विपक्षी दल जैसे AIMIM और कांग्रेस ने इसे अपर्याप्त माना। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की कि वे न्यायपालिका को धमकाने वालों पर कार्रवाई करें। कांग्रेस ने कहा कि BJP के “उग्रवादी तत्व” संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बोलते हैं, और पार्टी केवल औपचारिक रूप से दूरी बनाती है।
4. निशिकांत दुबे का इतिहास और BJP में भूमिका
निशिकांत दुबे BJP के एक मुखर नेता हैं, जो अक्सर विवादों में रहते हैं:
56 वर्षीय दुबे, बिहार के भागलपुर में जन्मे, RSS से जुड़े रहे हैं और 2009 से गोड्डा से सांसद हैं। उनके पास प्रबंधन में पीएचडी और MBA की डिग्री है।
विवाद: दुबे पहले भी बांग्लादेशी घुसपैठ, NRC लागू करने, और संथाल परगना को अलग करने जैसे बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं। 2024 में, उनके और उनके परिवार के खिलाफ देवघर में एक मेडिकल कॉलेज पर कब्जे का आरोप लगा, जिसके लिए FIR दर्ज की गई थी।
5. JMM का राजनीतिक लाभ: JMM इस विवाद को BJP को “लोकतंत्र विरोधी” और “विभाजनकारी” दिखाने के लिए इस्तेमाल कर रही है, खासकर आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच।
JMM ने निशिकांत दुबे को तत्काल बर्खास्त करने और सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, BJP ने दुबे के बयानों को निजी बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। यह मामला झारखंड और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है,