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रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ. राजकुमार गए हाईकोर्ट ,कहा मैं बेकसूर न्याय के लिए न्यालय के शरण मे आया हूँ, पर्याप्त सबूत है मेरे पास

रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज), रांची के पूर्व निदेशक डॉ. राजकुमार और झारखंड स्वास्थ्य विभाग के बीच विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। डॉ. राजकुमार ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा 17 अप्रैल को जारी बर्खास्तगी आदेश को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के हस्ताक्षर वाले पत्र के माध्यम से डॉ. राजकुमार को तत्काल प्रभाव से निदेशक पद से हटा दिया गया। बर्खास्तगी का आधार रिम्स अधिनियम-2002 के तहत निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति में असफलता, मंत्रिपरिषद, शासी परिषद, और स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों की अवहेलना बताया गया।
विवाद की पृष्ठभूमि
डॉ. राजकुमार को 31 जनवरी 2024 को झारखंड सरकार द्वारा तीन वर्ष के लिए रिम्स निदेशक नियुक्त किया गया था। इससे पहले वे लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में न्यूरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर थे। उनके कार्यकाल के दौरान, 15 अप्रैल 2025 को रिम्स शासी परिषद की 59वीं बैठक में उनके और परिषद सदस्यों, विशेष रूप से स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी, के बीच कुछ मुद्दों पर तीखी बहस हुई थी। सूत्रों के अनुसार, यह टकराव ही उनकी बर्खास्तगी का प्रमुख कारण बना।
स्वास्थ्य मंत्री ने आरोप लगाया कि डॉ. राजकुमार ने लगातार आदेशों की अवहेलना की, कार्यों की गति सुस्त रखी, और रिम्स के उद्देश्यों को पूरा करने में असफल रहे।
डॉ. राजकुमार का पक्ष
हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए डॉ. राजकुमार ने बर्खास्तगी को गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने कहा:
ईमानदारी का दावा: “मैंने पूरी जिंदगी में गलत तरीके से एक रुपये भी नहीं कमाए। कोई यह नहीं कह सकता कि मैंने 100 रुपये भी खाया। अगर ईमानदारी के बावजूद मुझे आरोपी बनना पड़े, तो यह गलत है।”
दस्तावेजों का हवाला: उनके पास कई दस्तावेज हैं जो उनकी कार्यप्रणाली और ईमानदारी को साबित करते हैं। उन्होंने कहा कि वे किसी के खिलाफ कोर्ट नहीं आए, बल्कि न्याय के लिए मजबूरी में आए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री पर टिप्पणी: “अगर स्वास्थ्य मंत्री कहते, तो मैं खुद इस्तीफा दे देता।” उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य मंत्री कुछ भी बोलते हैं, लेकिन उनके पास शासी परिषद की बैठक की पूरी रिकॉर्डिंग है, जिसे जरूरत पड़ने पर पेश किया जाएगा।
सुधार के प्रयास: डॉ. राजकुमार ने दावा किया कि उनकी बर्खास्तगी का कारण रिम्स में उनके द्वारा किए जा रहे सुधार थे, जो कुछ लोगों को रास नहीं आए। उन्होंने शासी परिषद की बैठक में कथित तौर पर करोड़ों रुपये के अनुचित भुगतान के सरकारी आदेश का विरोध किया था।
स्वास्थ्यमंत्री का रुख
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने बर्खास्तगी को लोकहित में बताया और कहा कि वे केवल मंत्री बनने नहीं, बल्कि सिस्टम सुधारने आए हैं। उन्होंने जीबी (गवर्निंग बॉडी) बैठक के दौरान विभाग की समीक्षा में पाया कि निर्देशों की अवहेलना हो रही थी, कार्यों की गति सुस्त थी, और जिम्मेदार अधिकारी चुप थे। खास तौर पर डॉ. राजकुमार पर लापरवाही और आदेशों को जानबूझकर लंबित रखने का आरोप लगाया गया। अंसारी ने यह भी कहा कि जो अच्छा काम करेगा, उसे इनाम मिलेगा, लेकिन गलत जानकारी देने वाले या लापरवाही करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डॉ. राजकुमार की बर्खास्तगी स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के कारण हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि शासी परिषद की बैठक में करोड़ों रुपये के गलत भुगतान के आदेश का डॉ. राजकुमार ने विरोध किया, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई।
प्रशासनिक बदलाव
डॉ. राजकुमार की बर्खास्तगी के बाद, 18 अप्रैल  को डॉ. शशिबाला सिंह को रिम्स का अंतरिम प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। डॉ. शशिबाला, जो स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग की पूर्व एचओडी हैं, को यह जिम्मेदारी स्थायी नियुक्ति या छह महीने के लिए दी गई है।
इतिहास में रिम्स निदेशकों का कार्यकाल
रिम्स में निदेशकों का कार्यकाल पूरा न हो पाना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले डॉ. डीके सिंह और डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने भी इस्तीफा देकर अपना कार्यकाल अधूरा छोड़ा था। डॉ. डीके सिंह के मामले में भी स्वास्थ्य मंत्री के साथ विवाद के बाद उनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा की गई थी, हालांकि तब मुख्यमंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया था।
वर्तमान स्थिति
डॉ. राजकुमार की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। उन्होंने अपनी बर्खास्तगी को सख्ती से काम करने का नतीजा बताया और कहा कि अगर कोई उनके खिलाफ बदनामी या गलत कार्यों का आरोप सिद्ध कर दे, तो वे भारत छोड़कर चले जाएंगे।

जाहिर है यह विवाद न केवल प्रशासनिक स्तर पर बल्कि राजनीतिक और कानूनी स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। डॉ. राजकुमार के कोर्ट जाने से इस मामले में नए खुलासे हो सकते हैं,

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