झारखंड में श्रमिक अधिकारों पर सवाल ! हिण्डाल्को कारखाने में मजदूरों का धरना ।
झारखंड में श्रमिक अधिकारों पर सवाल ! हिण्डाल्को कारखाने में मजदूरों का धरना ।
रांची, : झारखंड की राजधानी रांची से करीब 60 किलोमीटर दूर हिण्डाल्को एल्युमीनियम कारखाने में मजदूरों और प्रबंधन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। बीते बुधवार, 25 जून को मजदूरों की यूनियन द्वारा आयोजित एक आमसभा को प्रबंधन और निजी कंपनियों ने कथित तौर पर रोकने की कोशिश की। सभा स्थल तक पहुंचने से रोके गए मजदूरों ने विरोध में धरना शुरू कर दिया। इस बीच, प्रबंधन ने मजदूरों को शो-कॉज नोटिस जारी किए, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
क्या हुआ?
25 जून को हिण्डाल्को कारखाने में मजदूरों की यूनियन ने अपनी मांगों और समस्याओं को उठाने के लिए एक आमसभा का आयोजन किया था। यह सभा मजदूरों के लिए बेहद अहम थी, लेकिन प्रबंधन और कारखाने में काम करने वाली निजी कंपनियों ने इसे रोकने के लिए कई कदम उठाए। मजदूरों का आरोप है कि उन्हें सभा स्थल तक जाने से रोका गया, जिसके बाद वे धरने पर बैठ गए। धरने के दौरान मजदूरों ने प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की और अपने अधिकारों की रक्षा की मांग की।
प्रबंधन की प्रतिक्रिया
प्रबंधन ने धरने पर बैठे मजदूरों को शो-कॉज नोटिस जारी किए है। इस कदम से मजदूरों में आक्रोश और बढ़ गया है। मजदूरों का कहना है कि यह उनके अधिकारों का हनन है और वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
यूनियन के निबंधन पर विवाद
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में दावा किया गया है कि जिस यूनियन का निबंधन रद्द हो चुका है, उसे प्रबंधन द्वारा मान्यता दी जा रही है। अगर यह सही है तो आरोप गंभीर है और श्रम कानूनों का उल्लंघन है। ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 के तहत, केवल पंजीकृत यूनियनों को ही सभा आयोजित करने और सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार है। यदि यह दावा सही है, तो प्रबंधन का रवैया कानूनी रूप से संदिग्ध हो सकता है।
मजदूरों की मांग
धरने पर बैठे मजदूरों ने अपनी मांगें स्पष्ट की हैं। एक मजदूर ने कहा,
“हमारा धरना शांतिपूर्ण है। हम बस अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। प्रबंधन को हमारी बात सुननी चाहिए और इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।”
कई महदूरो का आरोप था की दैनिक मजदूरों के सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन से भी वेतन दिया जाता है. मजदूरों को 350 के आसपास वेतन दिया जाता है !
हम मजदूर निष्पक्ष व्यवहार और अपने अधिकारों का सम्मान चाहते हैं। प्रबंधन सकारात्मक जवाब दे।
प्रशासन से हस्तक्षेप की अपील
सोशल मीडिया के जरिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री एसपी यादव से हस्तक्षेप की गुहार लगाई गयी है।
लिखा,
“हिण्डाल्को में मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है। प्रबंधन उनके अधिकारों का दमन कर रहा है। कृपया कार्रवाई करें।”
वहीं इस मामले में सिल्ली विधायक अमित कुमार ने भी श्रमायुक्त को पत्र लिखा है ।
जाहिर है भारत में श्रमिक अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून हैं। औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 अनुचित श्रम व्यवहार को रोकता है। वहीं मजदूरों को सभा स्थल तक पहुंचने से रोकना और नोटिस जारी करना इस कानून का उल्लंघन हो सकता है।
हालांकि हिण्डाल्को प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
वैसे मजदूरों का धरना और प्रबंधन का रवैया इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है। अब केंद्र और राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों से उम्मीद है कि वे इस मामले की जांच करेंगे और मजदूरों के हितों की रक्षा करेंगे।