रांची: 13 जोड़ों ने श्री श्री पंचदेव मंदिर में लिए सात फेरे, सामूहिक विवाह का भव्य आयोजन
रांची, 5 मई : बड़ागांई के श्री श्री पंचदेव मंदिर प्रांगण में हनुमान क्लब के तत्वाधान में समाजसेवी अशोक कुमार साहू द्वारा अपने स्मृतिशेष माता-पिता, आनंद राम साहू और सोहदरा देवी की स्मृति में 13 जोड़ों का सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। इस भव्य आयोजन में प्रभात माली-रानी मुंडा, अमित लिंडा-निकिता कीरो, मुकेश करमाली-पूजा कुमारी, विशाल लोहारा-सिमरन कुजूर, प्रमेन्द्र तुरी-गुड़िया कुमारी, रितिका नायक-स्वाति कुमारी, सुरेंद्र उरांव-मुनिता कुमारी, पवन राम-संध्या कुमारी, सोनू कच्छप-रानी उरांव, छोटू उरांव-सुमन उरांव, अमित उरांव-पूनम बिन्हा, संदीप उरांव-प्रियंका उरांव, और अनुज मुंडा-ममता कुमारी ने वैदिक रीति-रिवाजों के साथ सात जन्मों तक साथ रहने का वचन लिया।
आयोजन का विवरण
सुबह 10 बजे वर पक्ष मंदिर प्रांगण से ग्राम भ्रमण के लिए निकला और बड़ागांई चौक पहुंचकर पुनः मंदिर लौटा। मंदिर में वर-वधु ने एक-दूसरे को पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया। दोपहर 12 बजे वरमाला और 1 से 3 बजे तक वैदिक मंत्रों के साथ विवाह संपन्न हुआ। सिंदूर दान के साथ सभी जोड़ों ने सात जन्मों का बंधन निभाने का संकल्प लिया। शाम 5:30 बजे नवविवाहित जोड़ों को आवश्यक घरेलू सामान, आभूषण और सुरुचिपूर्ण भोज के साथ विदाई दी गई।
सामाजिक उद्देश्य और आयोजक का संदेश
आयोजक अशोक साहू ने कहा, “आर्थिक तंगी के कारण कई परिवार अपनी बेटियों का विवाह नहीं कर पाते, जिससे वे सामाजिक मान्यता के बिना साथ रहने को मजबूर होते हैं। इस आयोजन का उद्देश्य ऐसे जोड़ों को सामाजिक सम्मान और वैवाहिक बंधन में बांधना है।” यह उनका तीसरा आयोजन था, जिसमें अब तक 36 जोड़ों का विवाह संपन्न हो चुका है।
विश्व हिंदू परिषद का आशीर्वाद
विश्व हिंदू परिषद के झारखंड-बिहार सहमंत्री डॉ. बिरेन्द्र साहू ने आयोजक अशोक साहू की सराहना करते हुए कहा, “सामूहिक विवाह न केवल दो आत्माओं, बल्कि दो परिवारों को जोड़ता है। यह सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।” उन्होंने नवविवाहित जोड़ों को सुखमय जीवन का आशीर्वाद दिया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम में रमेश तिर्की, बालसाय महतो, डॉ. जीवाधन प्रसाद, राजकुमार साहू, रणधीर सिंह, फागु साहू सहित वर-वधु के परिजन और कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। यह आयोजन सामाजिक एकता और परंपराओं के संरक्षण का एक जीवंत उदाहरण बना।