Ranchi News :- स्वतंत्रता सैनानी के नाम से जाना जायेगा उनका आवास पथ ,20 साल के बाद मिला सम्मान
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देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वतंत्रता सेनानी युगो-युगो तक अमर रहते है। ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी में एक नाम राम प्रसाद जी सोनी का भी है। जो शहर के धोबी मुहल्ला में जन्मे थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ जेल जाने और भारत की आजादी में अपनी भूमिका अदा करने वाले रामप्रसाद आज भले ही हमारे बीच नहीं है। लेकिन इनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए और सम्मान देते हुए नगर परिषद ने इनके आवासीय पथ का नाम रामप्रसाद सोनी के नाम पर करने की सहमति प्रदान कर दी है।
बेटे ने कहा-शहर में लगाई जाए पिता की प्रतिमा,16 साल से डीपीआरओ ऑफिस में रखी है
उपायुक्त सुशांत गौरव से मिले निर्देश का पालन करते हुए ईओ संजय कुमार द्वारा नप बोर्ड में जनप्रतिनिधियों की सहमति से इस निर्णय पर मुहर लगा दी गई है। अब उनके आवासीय पथ में शामिल प्रहलाद होटल के सामने से लेकर अमित स्टील होते हुए हीना कलेक्शन तक का मार्ग इन्हीं के नाम पर जाना जाएगा। हालांकि पथ का नामकरण सांसद सुदर्शन भगत ने 6 सितंबर 2003 को (तब झारखंड सरकार के खेलमंत्री) किया था। पर फाइल धूल फांक रही थी। अब निर्णय के बाद परिजनों में खुशी है। हालांकि रामप्रसाद की प्रतिमा अब भी पिछले 16 सालों से जनसंपर्क कार्यालय के बंद कमरे में पड़ी है।
गुमला गौरव रहे सोनी ने गांधी और नेहरू के साथ काम किया था
रामप्रसाद जी सोनी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू व डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के अनुचर थे। आजादी की लड़ाई के दौरान कई बार जेल गए। यातनाएं सही और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में गुमला में फिरंगी शासन के खिलाफ बढ़कर भागीदारी निभाई। इन्होंने अपने मित्र गणपतलाल खंडेलवाल द्वारा डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, विनोवा भावे जैसे राष्ट्रीय नेताओं को निमंत्रण देकर गुमला में आजादी की चिंगारी को हवा दिलाने में भी कामयाबी हासिल की थी। उनके कर्त्तव्य निष्ठा व देश प्रेम के लिए गुमला गौरव से अलंकृत किया गया था।
भूमि विवाद के कारण नहीं लग सकी रामप्रसाद सोनी की प्रतिमा
रामप्रसाद के दोनों लड़के विजय सोनी और अजय सोनी पेंटिंग का काम करते है। विजय ने बताया कि 2007 को झामुमो के विधायक भूषण तिर्की ने पिता की प्रतिमा स्थापित करने के लिए फंड दिया था। आवासीय रोड में प्रतिमा लगनी थी, जो जमीन विवाद के कारण नहीं लग सकी। बाद में प्रशासन सिर्फ आश्वासन देता रह गया। लेकिन दो फीट जमीन नहीं दे पाया। उस समय से तैयार उनकी प्रतिमा जनसंपर्क ऑफिस में पड़ी है। उन्होंने प्रशासन व विधायक से प्रतिमा स्थापित करने के लिए स्थान दिलाने की मांग की है, जो पिता के लिए असल सम्मान होगा।





