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S-400: दुनिया का सबसे उन्नत मिसाइल डिफेंस सिस्टम, भारत की हवाई सुरक्षा का अभेद्य कवच, जानिए कैसे काम करता है और किन देशों के पास है

S-400: दुनिया का सबसे उन्नत मिसाइल डिफेंस सिस्टम, भारत की हवाई सुरक्षा का अभेद्य कवच, जानिए कैसे काम करता है और किन देशों के पास है

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भारत पाकिस्तान विवाद के बीच पाकिस्तान ने जिस तरह मिसाइल और ड्रोन से कल रात भारत पर हमला किया और भारत के एस 400 यानी एयर डिफेंस सिस्टम जिसे भारत का सुदर्शन चक्र भी कहा जाता है , से  सभी मिसाइल्स और ड्रोन को हवा में ही मार गिराया उसके बाद लोगों के मन में यह जानने की इच्छा हो रही है कि आखिर यह S400 है क्या ? S400 डिफेंस सिस्टम कैसे काम करता है और किन-किन देशों के पास एयर डिफेंस  रडार सिस्टम मौजूद है आईए जानते हैं विस्तार से

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S 400 मिसाइल सिस्टम क्या है?
S-400 ट्रायम्फ (NATO कोड: SA-21 Growler) रूस द्वारा विकसित एक उन्नत सतह से हवा में मार करने वाला (Surface-to-Air) एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे अल्माज़ सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो ने 1990 के दशक में S-300 का उन्नत संस्करण के रूप में तैयार किया था। यह 2007 से रूसी सेना में तैनात है और हवाई खतरों जैसे फाइटर जेट, ड्रोन, क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और स्टील्थ विमानों को नष्ट करने में सक्षम है।
S-400 की लेयर और सुरक्षा प्रणाली
S-400 एक बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली (Multi-Layered Defense System) है, जो विभिन्न रेंज और ऊंचाई पर हवाई खतरों को नष्ट करने के लिए चार प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करती है। ये मिसाइलें निम्नलिखित रेंज में काम करती हैं:
40 किलोमीटर (9M96E): छोटी दूरी के लक्ष्यों के लिए।
100 किलोमीटर (9M96E2): मध्यम दूरी के हवाई खतरों को नष्ट करने के लिए।
200 किलोमीटर (48N6): लंबी दूरी के लक्ष्यों जैसे विमानों और मिसाइलों के लिए।
400 किलोमीटर (40N6): बहुत लंबी दूरी के लक्ष्यों, जैसे बैलिस्टिक मिसाइलों और स्टील्थ विमानों के लिए।
कैसे सुरक्षा करता है?
रडार और ट्रैकिंग: S-400 का रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। यह इलेक्ट्रॉनिक जामिंग से बचने के लिए चरणबद्ध सरणी रडार (Phased Array Radar) से लैस है।
लक्ष्य भेदन: यह एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक और 36 लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है। एक रेजिमेंट में 8 लॉन्चर होते हैं, प्रत्येक में 4 मिसाइलें, यानी कुल 32 मिसाइलें एक साथ दागी जा सकती हैं।
लचीलापन: इसे 8×8 ट्रकों पर आसानी से ले जाया जा सकता है, जिससे इसकी स्थिति बदलना और दुश्मन के लिए इसे डिटेक्ट करना मुश्किल होता है। यह -50°C से +70°C तक के तापमान में काम कर सकता है।
विविध खतरों से रक्षा: यह 100 से 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों, जैसे ड्रोन, क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और F-35 जैसे स्टील्थ विमानों को नष्ट कर सकता है।
किन देशों के पास है S-400?
S-400 वर्तमान में निम्नलिखित देशों के पास है:
रूस: 2007 से इसका मुख्य उपयोगकर्ता।
चीन: 2014 में पहली डिलीवरी प्राप्त की।
तुर्की: 2019 में डिलीवरी शुरू हुई।
भारत: 2018 में 5 स्क्वाड्रन के लिए 5.43 बिलियन का सौदा किया। तीन स्क्वाड्रन डिलीवर हो चुके हैं, जो चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात हैं। चौथा स्क्वाड्रन 2025 के अंत तक मिलेगा।
बेलारूस: रूस के सहयोगी के रूप में सीमित उपयोग।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी अरब और कतर ने भी S-400 खरीदने में रुचि दिखाई है, लेकिन अभी तक कोई  डिलीवरी नहीं हुई है।
भारत के लिए महत्व
भारत ने S-400 को चीन और पाकिस्तान से हवाई खतरों, जैसे बैलिस्टिक मिसाइलों (गजनवी, शाहीन) और फाइटर जेट्स (F-16, JF-17) के खिलाफ तैनात किया है। यह दिल्ली, सिलिगुड़ी, पठानकोट, राजस्थान और गुजरात जैसे रणनीतिक स्थानों की सुरक्षा करता है।  7-8 मई  जब पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया तब इसकी उपयोगिता को पूरे देश ने देखा की कैसे  भारत ने इसका उपयोग कर पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमले को नाकाम किया।

जाहिर है S-400 दुनिया का सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है, जो चार परतों की मारक क्षमता से सुरक्षा प्रदान करता है। इसकी लंबी रेंज, सटीकता और गतिशीलता इसे दुश्मन के लिए घातक बनाती है। वर्तमान में यह केवल चार देशों (रूस, चीन, तुर्की, भारत) के पास है, और भारत इसका उपयोग अपनी हवाई सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए कर रहा है।

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