स्कूल बन गया मसाज पॉर्लर ! गुरुजी ले रहे है मसाज .. ये कैसी पढ़ाई ?
गढ़वा से अतुल की रिपोर्ट
स्कूल में बच्चों से मसाज …जी हां ..यह खबर सुनकर आपको भी दुख होगा.. क्योंकि आप अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए…उसके उज्जवल भविष्य के लिए स्कूल भेजते हैं । लेकिन स्कूल में पढ़ाई की जगह जब बच्चों से शिक्षक मसाज कराए तो कितना दुख…और कितनी पीड़ा होगी। भले ही यह हैरत करने वाली बात लगे लेकिन है यह बिल्कुल सच….. यह सारा वाकया है झारखंड के गढ़वा जिले का……….

गढ़वा जिले के भवनाथपुर थाना क्षेत्र में स्थित राजकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय में दो शिक्षकों, बबन कुमार और सुरेंद्र कुमार, पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने शोषण, गाली-गलौज , मसाज और भेदभाव जैसे संगीन आरोप लगाए हैं। इस मामले से अभिवावकों में गहरा आक्रोश फैल गया है।
पूरी घटना को समझिए विस्तार से
छात्रों का आरोप: पढ़ाई नहीं, शोषण और अपमान
विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों,ने जब पत्रकारों से बातचीत में अपनी आपबीती सुनाई तो सबका दिल पसीज गया । उनका कहना है कि शिक्षक नियमित रूप से कक्षा में पढ़ाई नहीं कराते और केवल औपचारिकता पूरी करते हैं। वे बच्चों को अपने निजी कामों में इस्तेमाल करते हैं। छात्रों ने बताया कि शिक्षक उन्हें छुट्टी के बाद रोजाना दो घंटे तक रुकने के लिए मजबूर करते हैं और इस दौरान उनसे मसाज करवाने जैसे व्यक्तिगत कार्य कराते हैं। अगर कोई बच्चा इसका विरोध करता है, तो उसे भद्दी-भद्दी गालियां सुनने को मिलती हैं।
छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षकों का व्यवहार भेदभावपूर्ण है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उनका कहना है, “सरकार हमें मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म और मिड-डे मील जैसी सुविधाएं देती है ताकि हमारा भविष्य बेहतर हो, लेकिन इन शिक्षकों की वजह से हमारा भविष्य खतरे में पड़ गया है।” इन आरोपों की गंभीरता तब और बढ़ गई जब कुछ तस्वीरें सामने आईं, जिनमें एक शिक्षक बेंच पर लेटा हुआ दिखाई दे रहा है और बच्चे उसके पैर दबाते नजर आ रहे हैं। ये तस्वीरें सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर वायरल हो गईं, जिसने पूरे मामले को और तूल दे दिया।
परिजनों में आक्रोश, मानवता पर सवाल
छात्र-छात्राओं के परिजनों ने इस घटना पर कड़ा रोष जताया है। उनका कहना है कि स्कूल, जो बच्चों के लिए सुरक्षित और शिक्षाप्रद स्थान होना चाहिए, वहां इस तरह का व्यवहार न केवल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि उनकी गरिमा को भी ठेस पहुंचा रहा है। एक अभिभावक ने कहा, “हम अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजते हैं, न कि शिक्षकों की सेवा करने के लिए। यह अमानवीय है।” तस्वीरों को देखकर कई लोगों ने इसे “इंसानियत को शर्मसार करने वाला” करार दिया है।
शिक्षकों का जवाब: आरोपों को बताया साजिश
दूसरी ओर, दोनों आरोपित शिक्षकों, बबन कुमार और सुरेंद्र कुमार, ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि यह सब उन्हें बदनाम करने और फंसाने की एक सुनियोजित साजिश है। जब उनसे वायरल तस्वीरों के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा, “ये तस्वीरें गलत संदर्भ में पेश की जा रही हैं। हमें निशाना बनाया जा रहा है।”
प्रशासन का रुख: जांच के बाद कार्रवाई का वादा
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कैशर राजा ने त्वरित प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “यह एक बेहद गंभीर मामला है और इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।”प्रशासन ने इस मामले में एक जांच समिति गठित करने की बात कही है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना झारखंड के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को फिर से सामने लाती है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी, अनुशासनहीनता और संसाधनों का अभाव पहले से ही एक बड़ी समस्या है। इस तरह की घटनाएं न केवल बच्चों के भविष्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि अभिभावकों के बीच स्कूलों पर भरोसा भी कम करती हैं।
आगे क्या?
फिलहाल, इस मामले में जांच का इंतजार किया जा रहा है। छात्रों और उनके परिजनों की मांग है कि दोषी शिक्षकों को निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो। वहीं, यह घटना समाज में एक बड़े सवाल को जन्म देती है कि आखिर शिक्षा के मंदिर में बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है? जांच के परिणाम न केवल इस मामले का निपटारा करेंगे, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नीतिगत बदलाव की दिशा भी तय कर सकते हैं।