राज्य सरकार 1932 से 2021 तक की अवधि में आदिवासियों की जमीन के अवैध हस्तांतरण का पता लगाएगी, उपायुक्तों से 89 सालो का मंगगया है रिकॉर्ड !
राज्य सरकार 1932 से 2021 तक की अवधि में आदिवासियों की जमीन के अवैध हस्तांतरण का पता लगायेगी. इसके लिए भू राजस्व विभाग ने सभी आयुक्तों व उपायुक्तो को पत्र लिख कर सीएनटी-एसपीटी एक्ट के प्रावधान के आलोक में 14 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट के सहारे सरकार यह जानना चाहती है कि वर्ष 1832 में आदिवासियों के पास कुल कितनी जमीन थी. अब कितनी जमीन है. पत्र में लिखा गया है कि सीएनटी एक्ट 1908 की धारा 72 के तहत 1932 से 1947 तक की अवधि में आदिवसियों की कितनी जमीन का सरेंडर व सेटेलमेंट हुआ. धार 73 के तहत कितने आदिवासी रत ने टिनेंट छोड़ दिया.आजदी के बाद से अब तक उपायुक्तों के आदेश से कितनी जमीन का सरेंडर व सेटेलमेंट हुआ.
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न्यायालय के आदेश के आलोक में कितनी जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित की गयी. सीएनटी एक्ट की धारा 20 का उल्लंघन कर आदिवासियों की कितनी जमीन आदिवासियों को ही हस्तांतरित की गयी. धारा 49 के तहत 1932 से 2021 तक कितनी रैयती व भुरी जमीन का हस्तांतरण किया गया. इस अवधि में कितनी खुंटकटी जमीन का हस्तांतरण किया गया. जमीन वापसी के लिए दियेग वे आवेदनों के आलोक में कितनी जमीन आदिवासियों को वापस की गयी और कितने आवेदन रद्द कर दिये गये. कर्ज नहीं चुकाने की वजह से बिहार, ओडिशा लोक मांग वसूली के प्रावधानों के आलोक में आदिवासियों की कितनी जमीन दूसरे जाग को हन्लवर कर थो सया।
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