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रामगढ़ की जलती खदान में त्रासदी: आग की लपटों में खो गया रविंद्र, सिस्टम की लापरवाही पर सवाल

रामगढ़ की जलती खदान में त्रासदी: आग की लपटों में खो गया रविंद्र, सिस्टम की लापरवाही पर सवाल

रामगढ़ : आकाश शर्मा

रामगढ़, : झारखंड के रामगढ़ जिले में भैरवी नदी के तट पर बसे भुचुंगडीह गांव की एक अवैध कोयला खदान में मंगलवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ। महीने भर से धधक रही आग को बुझाने की जद्दोजहद में गोला के खोखा (बंदा) गांव का मजदूर रविंद्र महतो अचानक धंसी जमीन में समा गया। रात भर चले बचाव कार्य के बाद भी उसका कोई पता नहीं चला। यह हादसा न सिर्फ एक परिवार की उम्मीदों को लील गया, बल्कि अवैध खनन और लापरवाह सिस्टम की कड़वी हकीकत को भी उजागर कर गया।
आग की लपटों में खोया एक जीवन
पिछले एक महीने से भुचुंगडीह की इस अवैध खदान में आग की लपटें आसमान छू रही थीं। जिला प्रशासन, वन विभाग और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) ने आग पर काबू पाने की कोशिशें शुरू की थीं। हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल और रामगढ़ विधायक ममता देवी ने दौरा कर खाई काटने और फ्लाई ऐश डालने जैसे कदम उठाने को कहा था। मगर, उस रात रविंद्र जब पाइप लेकर आग से जूझ रहे थे, तभी जमीन उनके नीचे से खिसक गई। प्रत्यक्षदर्शी गांधी महतो की आवाज कांपते हुए सुनाई दी, “लपटें इतनी भयानक थीं कि रविंद्र को बचाने की हर कोशिश बेकार हो गई।”

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गुस्से में ग्रामीण, बेकार वादे
हादसे की खबर फैलते ही रजरप्पा पुलिस, सीसीएल प्रबंधन और माइंस रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। सात घंटे से ज्यादा समय तक बचाव कार्य चला, लेकिन रविंद्र का कोई अता-पता नहीं मिला। रामगढ़ डीसी चंदन कुमार और एसपी अजय कुमार ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को मुआवजा और हरसंभव मदद का वादा किया। मगर, ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। एक स्थानीय ने चीखकर कहा, “ये खदानें सालों से चल रही हैं। आग की खबर पहले ही थी, फिर भी कोई सुरक्षा क्यों नहीं? रविंद्र की जान की कीमत कौन चुकाएगा?”
अवैध खनन: एक सुलगता सच
रामगढ़ में अवैध कोयला खनन कोई नई कहानी नहीं। भुचुंगडीह की खदानों में पहले भी कई जानें जा चुकी हैं, जैसे 2021 में धठवाटांड में दम घुटने से एक दंपती की मौत। ग्रामीणों का आरोप है कि माफिया और अधिकारियों की मिलीभगत से ये खदानें चल रही हैं। इस हादसे में न तो मजदूरों को सुरक्षा उपकरण दिए गए, न ही आग बुझाने का कोई पुख्ता इंतजाम था।
क्या बदलेगा अब?
बचाव की उम्मीद: रविंद्र को खोजने का काम जारी है, लेकिन हालात मुश्किल हैं।
मुआवजा का वादा: प्रशासन ने परिजनों को सरकारी मदद का भरोसा दिलाया है, पर क्या यह उनके दर्द को कम कर पाएगा?
सवालों का जवाब: अवैध खनन और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो रही है।
एक सवाल सबके लिए
यह हादसा सिर्फ रविंद्र की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम मजदूरों की हकीकत है जो हर दिन जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। क्या रामगढ़ की इन जलती खदानों पर अब लगाम लगेगी, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
आपके विचार हमारे साथ साझा करें। क्या इस त्रासदी को रोका जा सकता था? नीचे कमेंट करें।

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