राज्यपाल का दिल्ली में होना UPAको खटक रहा है इसे डर कहे या फिर डर की राजनीति
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए (UPA)ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस की रांची से लगातार अनुपस्थिति और मुख्यमंत्री की अयोग्यता के मुद्दे पर उनकी चुप्पी को लेकर लगातार निशाना साधा है जबकि राजभवन ने कहा कि राज्यपाल किसी जरूरी व्यक्तिगत मामले के कारण दिल्ली में हैं।
गौरतलब है की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 सितंबर को विश्वास प्रस्ताव के दौरान राज्यपाल पर राजभवन के पिछले दरवाजे से दिल्ली में घुसने का आरोप लगाने लगाया था जिसके बाद जिससे अनिश्चितता की स्थिति पैदा हुई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्यपाल रमेश बैस की कुछ व्यक्तिगत समस्याएं हैं, जिसके कारण वह दिल्ली में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब वह इस समस्या से बाहर आ जाएंगे तो दिल्ली वापस आ जाएंगे। बिनातथ्यों की पुष्टि किए बिना बयान देने से बचना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक
सूत्रों ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि राज्यपाल पर बार-बार बेवजह बयानों के साथ हमला किया गया था, इस तथ्य को जाने बिना कि उनका दिल्ली प्रवास राजनीतिक के बजाय व्यक्तिगत कारणों से है।
कहा जाता है कि राज्यपाल हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों ने तत्काल दबाव वाले व्यक्तिगत मुद्दे का खुलासा नहीं किया, जिससे राज्यपाल को दिल्ली में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा, कहा जा रहा है की अपने पोते से संबंधित किसी समस्या में उलझे हुए हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वह अपने इलाज के लिए दिल्ली गए थे।
गौरतलब है की पिछले दिनों यूपीए के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के मिलने के एक दिन बाद राज्यपाल 2 सितंबर को दिल्ली के लिए रवाना हुए और उनसे सिचुएशन को साफ़ करने और हेमंत सोरेन पर ईसीआई की राय का खुलासा करने का अनुरोध किया कि क्या वह अपनी सदस्यता खोने के लिए तैयार हैं या नहीं। गौरतलब है की झामुमो के नेतृत्व वाले यूपीए ने एक युद्ध रेखा खींची और राज्यपाल के कार्यालय पर ‘ईसीआई रिपोर्ट पर कथित चुनिंदा लीक’ के लिए “अराजकता, भ्रम और अनिश्चितता की स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया, जो राज्य के प्रशासन और शासन को खराब करता है।”
यूपीए ने आरोप लगाया कि इस तरह की चुप्पी ने भाजपा को हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक अस्थिरता के लिए प्रोत्साहित किया है।
जाहिर है की कहा जा रहा है की भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने हेमंत सोरेन को पत्थर की पट्टे की खदान का लाभ उठाने के लिए अयोग्य घोषित करने के बारे में अपनी सिफारिश भेजी है