*उत्पाद नीति में बदलाव कर चुनावी धन इकट्ठा करने और लूट मचाने की तैयारी कर रही हेमंत सरकार : बाबूलाल मरांडी*
शराब नीति की आड़ में तीसरी बार एक और बड़े घोटाले को अंजाम देने की तैयारी में हेमंत सरकार*
*भाजपा की सरकार आने पर प्रस्तावित शराब नीति रद्द की जायेगी*
भाजपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार एक बार फिर से उत्पाद नीति में बदलाव कर चुनावी धन इकट्ठा करने और लूट मचाने की तैयारी कर रही है।
मरांडी ने कहा कि कैबिनेट की स्वीकृति मिलने से पहले ही शराब के टेंडर की खबर लीक होकर इंटरनेट के टेंडर पोर्टल पर घूम रहा है।
मरांडी ने सवाल उठाया कि कैबिनेट मीटिंग से पहले ही ये बात बाहर कैसे आई कि नीति में क्या बदलाव हो रहा है और इसका टेंडर होने वाला है?
टेंडर की खबर लीक कर क्या किसी खास व्यक्ति/समूह को अनैतिक लाभ पहुंचाकर अनैतिक लाभ लेने का प्रयास किया जा रहा है?
हेमंत सरकार द्वारा दोबारा शराब नीति लाना और कैबिनेट मीटिंग से पहले ही टेंडर पोर्टल पर इस खबर का लीक होना बताता है कि सरकार शराब नीति की आड़ में एक के बाद एक तीसरे बड़े घोटाले को अंजाम देने की तैयारी में है।
मरांडी ने कहा कि घोटालों, चोरी और धोखाधड़ी के लिए कुख्यात हेमंत सोरेन सरकार जाते-जाते एक बार फिर से बड़ा शराब घोटाला करने की तैयारी में है।
पहले भी मैंने झारखंड में संभावित शराब घोटालों के बारे में चिंता व्यक्त की थी। मुख्यमंत्री जी को इस बारे में चेताया था, लेकिन उन्होंने नैतिकता को पूरी तरह नजरअंदाज कर हेरा-फेरी का रास्ता अपनाया। ज़्यादा से ज़्यादा धन कमाने की आदत से मजबूर हेमंत सोरेन लगातार तीसरी बार शराब नीति बदलकर चुनाव के लिये कालाधन जुटाना चाहते हैं।
मरांडी ने कहा कि आज मैं फिर से जनता के सामने यह बात सार्वजनिक कर रहा हूं कि झारखंड में तीसरी बार शराब घोटाले की साजिश रची जा रही है। पिछली बार इसमें छत्तीसगढ़ के शराब माफिया शामिल थे, जबकि इस बार पंजाब और हरियाणा के शराब माफियाओं को लाने की योजना बन रही है। इस घोटाले की पटकथा भी बिरसा मुंडा जेल से लिखी जा रही है।
इस बार घोटाले का मुख्य मकसद चुनाव के लिए भारी फंड जुटाना और चुनाव के समय गांव-गांव में शराब बांटना है।जिस सरकार का कार्यकाल दो महीने बचा है, वह अगले तीन साल के लिये शराब दुकान का ठेका परोक्ष रूप से पंजाब-हरियाणा वालों को सौंप कर मोटा काला धन वसूलना चाहती है।
उन्होंने कहा कि मैंने बीते 1 सितम्बर को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि गांव की गरीब आदिवासी महिलाएं, जो शराब बेचती हैं, उन्हें सरकारी शराब वितरण के माध्यम से जोड़ा जाए, लेकिन मुख्यमंत्री अपनी आदत से मजबूर हैं। सही ही कहा गया है कि चोर चोरी से जाये हेरा फेरी से न जाये।
मरांडी ने कहा कि मैं झारखंड की जनता को यह भी यक़ीन दिलाता हूं कि भाजपा की सरकार आने पर इस प्रस्तावित शराब नीति को रद्द किया जायेगा। छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा से आये हुए शराब माफ़ियाओं एवं घोटाले में शामिल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।