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Bihar News:-महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी क्यों नहीं?:कांग्रेस, माले जैसी पार्टियां लगातार उठा रहीं मांग; जानिए कमेटी नहीं बनने के 5 बड़े कारण

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Drishti  Now  Ranchi

महागठबंधन की जब से सरकार बनी है। इसके बाद से महागठबंधन यानी सभी सातों पार्टियों जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, माले, हम, सीपीआई, सीपीएम की बैठक नहीं हुई है। रैली, प्रेस कान्फ्रेंस या विधायक दल की बैठक की बात यहां नहीं हो रही है। नतीजा यह है कि कांग्रेस और भाकपा माले जैसी महागठबंधन की पाार्टियां लगातार मांग कर रही हैं कि कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए और इसकी बैठक की जाए।

क्या महागठबंधन का एकमात्र एजेंडा यही है कि बीजेपी के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट किया जाए और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनाव के पहले या चुनाव के बाद पीएम के लिए आगे बढ़ाया जाए? इस मुद्दे पर भी सात दलों की राय एक नहीं है। कांग्रेस को राहुल गांधी पसंद हैं तो माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य कह चुके हैं कि यह चेहरा लेफ्ट से भी क्यों नहीं हो सकता है?

कॉर्डिनेशन कमेटी बहुत जरूरी है- कुणाल, राज्य सचिव,माले

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल कहते हैं कि ‘महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी बहुत जरूरी है। अगर यह नहीं बना सकते तो रेगुलर बैठक महागठबंधन की पार्टियों की होनी चाहिए। ऐसी कोई बैठक पार्टी लेवल पर अब तक नहीं हुई है।’ माले, सरकार के काम करने के तौर-तरीकों पर कई बार सवाल उठा चुकी है। माले कह चुकी है कि अफसरशाही पर बीजेपी का असर अभी भी है। छात्रों और किसानों पर हुए लाठीचार्ज का विरोध भी माले कर चुकी है।

जहरीली शराब पीने से लोगों की हुई मौत मामले में परिजनों को मुआवजा के सवाल पर माले और कांग्रेस की राय जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार की राय से अलग दिख चुकी है। अब तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तीन-तीन लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दे दिया है।

सरकार में शामिल एक-दो बड़े दल ये मान कर न चलें कि उनके नेता जो फैसला लेंगे उससे सबकी सहमति होगी

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी कहते हैं कि कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बनने से सरकार में शामिल महागठबंधन के तमाम दलों की एकराय किसी मुद्दे पर कैसे हो इसका कोई समुचित मंच नहीं है। आपसी कॉर्डिनेशन के बिना सात अलग-अलग दलों के बीच सहमति बनाना कैसे संभव है? सरकार में शामिल एक-दो बड़े दल ये मान कर न चलें कि उनके नेता जो फैसला लेंगे, उससे सहमति सबकी मजबूरी होगी।

असित आगे कहते हैं कि इसको लेकर बातचीत चल रही है। होली के बाद उम्मीद है कि कॉर्डिनेशन कमेटी बनेगी। अब कांग्रेस के इस प्रस्ताव को टाला जाना न तो राजनीतिक रूप से ठीक है और न ही शासकीय व्यवस्था को ठीक से बनाए रखने के लिए।

कॉमन प्रोग्राम बनाना चाहिए- सुधाकर सिंह

आरजेडी के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि सभी तरह का काम हो ही रहा है। आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह कहते हैं कि महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी होनी चाहिए क्योंकि सभी सहयोगी दल जनता से कुछ सवालों के साथ चुनाव में गए थे और घोषणा पत्र में घोषणा है। महागठबंधन के सभी दलों को मिलकर एक कॉमन प्रोग्राम बनाना चाहिए। इस कॉमन प्रोग्राम के तहत सरकार चलाना चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव कुमार महागठबंधन के अंदर कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बनने के कारणों पर बात करते हुए कहते हैं कि यह जरूरी है और इसके नहीं होने का असर सरकार के कामकाज पर पड़ा रहा है। वे इसके पांच कारण बताते हैं-

कॉर्डिशनेशन कमेटी नहीं बनाने के 5 बड़े कारण

1.नीतीश कुमार अपने तरीके से शासन करने वाले नेता हैं! उनकी सरकार वन मैन शो वाली होती है! ज्यादातर राज्यों के मुख्यमंत्री ऐसा ही करते हैं!

2.आरजेडी की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है, बाकी जगह कम! जेडीयू-और आरजेडी के बीच नेतृत्व को लेकर शीत युद्ध जैसी स्थिति है!

3.कांग्रेस या माले के दबाव में नहीं आना चाहते नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव!

4. बोर्डों- आयोगों आदि में कई पद खाली पड़े हैं इसमें सातों दल हक मांगेंगे! ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर भी विवाद है!

5.कांग्रेस के मंत्रियों की स्वतंत्रता बढ़ेगी!

 

 

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