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HIGH COURT: जाने क्यों हुई इतनी महत्वपूर्ण जनहित याचिका ख़ारिज साथ ही लगा जुर्माना

HIGH COURT: झारखण्ड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका ख़ारिज हुई और पार्थी पर एक लाख रुपीर का जुर्माना भी लगाया गया। चीफ जस्टिस संजय कुँअर मिश्रा की कोर्ट ने यह जुर्माना लगाया। दरअसल झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को कामेश्वर प्रसाद की जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान प्रतिवादी वन अधिकारी राकेश कुमार की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने प्रार्थी के क्रेडेंशियल पर सवाल उठाया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि पीआईएल रूल्स 2010 के तहत पारा 3 में प्रार्थी को अपना क्रेडेंशियल दिखाना चाहिए था.

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लेकिन प्रार्थी ने अपने खिलाफ लगे क्रिमिनल केस के बारे में याचिका में कोई जानकारी नहीं दी. इसलिए इनकी याचिका मेंटेनेबल नहीं है. उनकी ओर से यह भी कहा गया कि कि भ्रष्टाचार के एक मामले में प्रार्थी के ऊपर विजिलेंस केस चल रहा है ,उसे निलंबित भी किया गया था और वह जेल भी गया था. जेल से निकलने के बाद उसका निलंबन हटाया गया है, लेकिन इन सारी बातों को उसने अपनी याचिका में छुपाया है, वन विभाग में भी वह अन्य कर्मियों को परेशान करता है इसलिए यह जनहित याचिका की श्रेणी में नहीं आता है.

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हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रतिवादी की बातों को सुनने के बाद प्रार्थी द्वारा खुद के बारे जानकारी छुपाने पर उसपर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. साथ ही याचिका खारिज कर दी. प्रार्थी ने याचिका में कहा था कि वन विभाग द्वारा कागजों पर ही पौधारोपण का कार्य होता है. हकीकत में पौधारोपण नहीं किया जाता है. उसने याचिका में वन विभाग की नाकामियों की चर्चा की थी.

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