झारखंड में पेसा कानून को लेकर अहम मुलाकात: बंधु तिर्की ने दीपिका पांडेय सिंह को सौंपे संशोधन सुझाव
झारखंड में पेसा कानून को लेकर अहम मुलाकात: बंधु तिर्की ने दीपिका पांडेय सिंह को सौंपे संशोधन सुझाव
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रांची, 11 अगस्त : झारखंड में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम (PESA Act) को और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। सोमवार को झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने राज्य की ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह से मुलाकात की। इस दौरान तिर्की ने पेसा कानून के लिए तैयार किए गए प्रारूप में आवश्यक संशोधनों से संबंधित सुझावों का एक विस्तृत दस्तावेज सौंपा। यह मुलाकात झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सशक्त करने और स्थानीय विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

पेसा कानून का महत्व
पेसा कानून, 1996, भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सशक्त करने और स्थानीय संसाधनों पर उनके अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था। झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में यह कानून विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों, जैसे जल, जंगल, और जमीन, के प्रबंधन और संरक्षण का अधिकार देता है। साथ ही, यह स्थानीय परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित करने में भी मदद करता है। बंधु तिर्की ने इस मुलाकात के बाद कहा, “झारखंड जैसे प्रदेश के लिए पेसा कानून अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे प्रभावशाली तरीके से लागू करना न केवल ग्रामीण विकास के लिए जरूरी है, बल्कि यह आदिवासी समुदायों की पहचान और संस्कृति को भी संरक्षित रखेगा।
सुझावों का उद्देश्य
बंधु तिर्की ने पंचायती राज विभाग द्वारा पेसा कानून के प्रारूप को तैयार करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विभाग ने इस दिशा में एक बेहतर शुरुआत की है, लेकिन इसे और प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों की आवश्यकता है। तिर्की द्वारा सौंपे गए सुझाव निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित हैं:
1. ग्राम सभाओं की मजबूती : सुझावों में ग्राम सभाओं को और अधिक शक्तिशाली बनाने पर जोर दिया गया है। इसमें ग्राम सभाओं को विकास कार्यों और योजनाओं पर सीधा नियंत्रण देने के प्रावधान शामिल हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को और सशक्त किया जा सके।
2. गांवों का विकास : तिर्की ने स्थानीय जरूरतों के आधार पर विकास योजनाओं को प्राथमिकता देने और उनके कार्यान्वयन में पारदर्शिता लाने की बात कही। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और सड़क, का विकास तेजी से हो सकेगा।
3. परंपरा और संस्कृति का संरक्षण : सुझावों में आदिवासी परंपराओं, रीति-रिवाजों, और संस्कृति को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि पेसा कानून लागू होने से झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखा जा सके।
पंचायती राज विभाग की भूमिका
पंचायती राज विभाग ने पेसा कानून के प्रारूप को तैयार करने में सराहनीय प्रयास किए हैं। बंधु तिर्की ने कहा कि उनके सुझाव इस प्रारूप को और बेहतर बनाने के लिए हैं, ताकि यह कानून अपने मूल उद्देश्यों को पूरी तरह से प्राप्त कर सके। उन्होंने यह भी जोर दिया कि पेसा कानून का प्रभावी कार्यान्वयन झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की नई संभावनाएं खोलेगा और आदिवासी समुदायों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करेगा।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
यह मुलाकात न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका राजनीतिक और सामाजिक महत्व भी है। झारखंड में पेसा कानून को लागू करने की प्रक्रिया में विभिन्न हितधारकों के सुझावों को शामिल करना सरकार की समावेशी नीति को दर्शाता है। हाल ही में, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और दीपिका पांडेय सिंह के बीच ट्रेन में हुई मुलाकात में भी पेसा कानून पर सार्थक चर्चा हुई थी, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है
जाहिर है बंधु तिर्की द्वारा दिए गए सुझावों को अब पंचायती राज विभाग द्वारा विचार-विमर्श के लिए लिया जाएगा। मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने इन सुझावों को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि पेसा कानून को लागू करने में सभी हितधारकों के विचारों को शामिल किया जाएगा, ताकि यह कानून ग्राम स्तर पर अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचा सके।







