झारखंड: कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के जाति प्रमाण पत्र पर विवाद, रद्द करने की मांग
झारखंड: कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के जाति प्रमाण पत्र पर विवाद, रद्द करने की मांग
रांची, 3 जुलाई : झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने की मांग को लेकर रांची में सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनजातीय संगठनों ने उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि शिल्पी नेहा तिर्की ने ईसाई धर्म अपनाने के बावजूद 2 मई 2022 को जारी अनुसूचित जनजाति (ST) जाति प्रमाण पत्र (क्रमांक JHcst/2022/187696) के आधार पर आरक्षण का लाभ लिया, जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन है।
सामाजिक कार्यकर्ता मेघा उरांव और जनजाति सुरक्षा मंच के सोमा उरांव ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले (वाद संख्या 13086/2024, “सी. सेल्वा रानी बनाम विशेष सचिव सह जिला कलेक्टर”) का हवाला देते हुए कहा कि ईसाई धर्म में जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं है, और धर्मांतरण के बाद अनुसूचित जनजाति का आरक्षण लाभ लेना अवैध है। इसके अतिरिक्त, संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश, 1950 की धारा 341 और केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के लोकसभा में दिए बयान का उल्लेख करते हुए दावा किया गया कि आरक्षण केवल हिंदू, सिख, और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए उपलब्ध है।
ज्ञापन सौंपने वालों में मेघा उरांव, संदीप उरांव, सोमा उरांव, जगन्नाथ भगत, विशु उरांव, राजू उरांव, और सनी उरांव टोप्पो शामिल थे। जनजाति सुरक्षा मंच ने यह भी चेतावनी दी कि 2024 के विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटों से चुने गए धर्मांतरित ईसाई विधायकों के खिलाफ जल्द ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मुद्दा पहले भी जनवरी 2025 में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और अन्य विभागों को पत्र लिखकर उठाया जा चुका है, लेकिन अभी तक इस पर कोई आधिकारिक कार्रवाई की पुष्टि नहीं हुई है।
शिल्पी नेहा तिर्की, जो मांडर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक हैं, ने हाल के महीनों में ट्रैक्टर वितरण योजना, सरना धर्म कोड की मांग, और अन्य सामाजिक गतिविधियों के लिए सुर्खियां बटोरी हैं। इस विवाद पर उनका या उनके कार्यालय का कोई आधिकारिक बयान अभी तक सामने नहीं आया है।