झारखंड फ़िल्म इंडस्ट्री अब भी पहचान की मोहताज़.
दिलेश्वर लोहरा, कलाकार,
रांची, झारखंड.
रांची : झारखंड में तीसरा झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल ऑनलाइन संपन्न हुआ. कोरोनकाल के कारण ऑन स्टेज झारखण्ड फिल्म अवार्ड फेस्टिवल कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं मिलती यही वजह है कि आनलाइन शो करना पड़ा .
झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में झारखंड की फिल्में राज्य में बनी हुई थी, और 53 देशों की 657 फिल्में कुल मिलाकर लगभग 115 फिल्मों का चयन किया गया था . सिनेमा से जुड़े एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, गीतकार,संगीतकार सभी ने जो अच्छा काम किया उन्हें झारखण्ड अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल अवार्ड से नवाजा गया.
फिल्म फेस्टिवल नें कोरोना काल के फिल्म उधोग से जुड़े लोग के मनोबल को बढानें का काम किया है. गौरतलब है कि करीब 8 महीने से सिनेमा उधोग ठप पड़ा रहा और लोग बेरोजगार हो गये, वहीं बहुत कलाकारो ने तो आत्महत्या करने की नौबत तक आ गई.
हालांकि 15 अक्टूबर 2020 यानि आज से देश के लगभग सभी राज्यों में मल्टीप्लेक्स थियेटर और सिनेमा हॉल खुलने वाली है. कोरोनकाल में झारखण्ड में भी सिनेमा के निर्माण में रोक लगा दी गई थी. बॉलीवुड से लेकर स्थानीय निर्माता ने सिनेमा नहीं बना पाए, ऐसे हालात में जब थियेटर खुलेंगे तो नये फिल्मों का रिलीज नहीं होना फिल्म उधोग के लिए काफी नुकसानदायक होगा और सिनेमा हाल के मालिक को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा.
झारखंड राज्य की फिल्म विकास निगम बोर्ड ने झारखंड के स्थानीय सिनेमा में जनजातीय भाषाओं और क्षेत्रीय भाषा की सिनेमा के प्रति पिछले 5 साल में उदासीन रवैया रहा है, अगर क्षेत्रीय सिनेमा उधोग की हालत अच्छी रहती तो निश्चित ही आज मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल खुलने से लाभ मिलता. झारखंड में अभी तक स्थानीय सिनेमा में स्थानीय भाषा के विकास के लिए कोई नीति नहीं बनाई है, जनजातीय भाषा, मुंडा, हो, संथाल और खड़िया एवं क्षेत्रीय भाषा नागपुरी, खोरठा, पंचपड़गानिया और कुरमाली भाषा पर आधारित सिनेमा गायब है.
ये सवाल उठना लाज़मी है कि कैसे झारखंड में फिल्मों का विकास होगा 6000 से ज्यादा राज्य में कलाकार और टेक्नीशियन इस पेशे से जुड़े हुए हैं. जाहिर सी बात है अगर फिल्म उधोग का विकास होगा तो राज्य में पर्यटन, कला, कलाकार और राज्य का विकास निश्चित होगा.