Jharkhand News :- झारखण्ड की बेटी बनी सबसे कम उम्र की एथलीट आशा किरण , नैशनल कैम्प के लिए हुई चयनित
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Prerna Chourasia
Drishti Now Ranchi
खेल मंत्रालय की ओर से बेंगलुरु में नेशनल कोचिंग कैंप का आयोजन होना है. इसमें एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए मार्च माह तक विशेष कैंप लगाए जाने हैं. इसके लिए देश भर के कुल 54 खिलाड़ियों (सीनियर पुरूष, महिला) को चयनित किया गया है. इसमें झारखंड की आशा किरण बारला (800 मीटर) को भी शामिल किया गया है जो महज 16 बरस की ही है. इस हिसाब से यह अनूठा है कि मिशन 2024 ओलंपिक को देखते राष्ट्रीय स्तर के इस कैंप के लिए सबसे कम उम्र की खिलाड़ी के तौर पर उसे शामिल किया गया है. साई (भारतीय खेल प्राधिकरण) द्वारा जारी लिस्ट में खिलाड़ियों के अलावा 23 कोचों और सपोर्टिंग स्टाफ को भी शामिल किया गया है. कोच की लिस्ट में कभी जेएसएसपीएस, होटवार (JSSPS, रांची) की कोच रही अनुपमा श्रीवास्तव को भी शामिल किया गया है.
यह होगा लाभ
नेशनल कैंप में शामिल किए जाने से खेल प्रेमियों को उम्मीद बंधी है कि आशा को अब और बेहतर कोचिंग सहित दूसरी सुविधाएं मिल सकेंगी. आगामी एशियाड और अन्य इंटरनेशनल खेल टूर्नामेंटों के हिसाब से उसे ट्रेनिंग मिलेगी. इसमें बेहतर प्रदर्शन करने पर उसके लिए आगामी ओलंपिक 2024 के हिसाब से राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने का मौका बन सकेगा. नेशनल कैंप में आधे से अधिक खिलाड़ी ऐसे हैं जो ओलंपियन हैं. ओलंपिक तक खेल चुके खिलाड़ियों के बीच आशा को अपने हुनर को और बेहतर करने में मदद मिलेगी. संभावना जतायी जा रही है कि आशा की प्रतिभा को देखते उसे इसी वर्ष जून में और तीन खिलाड़ियों संग उच्च स्तरीय ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजा जाये. सबों को उम्मीद लग रही कि 2028 के ओलंपिक के हिसाब से उसे तैयार करते शानदार एथलीट बनाया जाएगा.
जेएसएसपीएस से है आशा और अनुपमा का नाता
गौरतलब है कि आशा किरण बारला (2018-2020) की बड़ी बहन फ्लोरेंस बारला भी एथलेटिक्स की शानदार खिलाड़ी हैं. दोनों बहनों को जेएसएसपीएस, होटवार स्थित अकादमी में खेल का बुनियादी प्रशिक्षण मिला था. अनुपमा श्रीवास्तव का भी जेएसएसपीएस से लंबे समय तक कोच के तौर पर नाता रहा था जिसे विकट स्थिति में अकादमी छोड़ने को विवश किया गया था. अब वे नेशनल लेवल की कोच बनकर अपनी उपस्थिति राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज करा रही हैं.
आशा के बेहतर भविष्य की कामना
एथलेटिक्स कोच आशु भाटिया के बोकारो स्थित अकादमी का भी लाभ आशा को मिलता रहा है. आशु भाटिया कहते हैं कि आशा में भरपूर संभावनाएं हैं. उसे अगर कहीं से ढंग की स्पॉन्सरशिप मिले तो ओलंपिक तक में वह तिरंगा लहरा सकती है.