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जेपीएससी मुख्य परीक्षा परिणाम पर भाजपा का तीखा हमला, पारदर्शिता की मांग

 जेपीएससी मुख्य परीक्षा परिणाम पर भाजपा का तीखा हमला, पारदर्शिता की मांग
रांची, : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा 11 महीने की देरी से घोषित सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2023 के परिणाम पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखा हमला बोला है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने रविवार को रांची में एक प्रेस वार्ता में जेपीएससी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए परिणाम को “लॉटरी जैसा” करार दिया। उन्होंने मांग की कि आयोग तत्काल श्रेणी-वार परिणाम प्रकाशित करे ताकि आरक्षित वर्गों को उनके हक की स्पष्टता मिल सके।
पारदर्शिता पर सवाल, आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप
प्रतुल ने कहा कि जेपीएससी का वेबसाइट दावा करता है कि आयोग का उद्देश्य निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया को बढ़ावा देना है, लेकिन मुख्य परीक्षा के परिणाम में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और अन्य आरक्षित श्रेणियों के लिए निर्धारित कोटा का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा, “यह परिणाम किसी लॉटरी की तरह दिखता है। इससे यह समझना मुश्किल है कि क्या आरक्षित वर्गों को उनका हक मिला और क्या ढाई गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाने का नियम पालन हुआ।”
2023 नियमों का उल्लंघन?
प्रतुल ने 19 दिसंबर, 2023 को जारी झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विस एग्जामिनेशन रूल्स, 2023 का हवाला दिया, जिसमें विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग कट-ऑफ मार्क्स और मुख्य परीक्षा में ढाई गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि कट-ऑफ कम करने की छूट के बावजूद, जेपीएससी ने परिणाम में श्रेणी-वार विवरण नहीं दिया, जिससे संदेह पैदा होता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आरक्षित वर्गों को उनका उचित प्रतिनिधित्व मिला या फिर झारखंड के बाहर के अभ्यर्थियों को अधिक चयन हुआ, जैसा कि पहले भी विवादों में देखा गया है।
सरकार और जेपीएससी से जवाब की मांग
प्रतुल ने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लेने और जेपीएससी से श्रेणी-वार परिणाम प्रकाशित करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो आयोग की विश्वसनीयता एक बार फिर संदेह के घेरे में आ जाएगी। गौरतलब है कि जेपीएससी पहले भी पेपर लीक और परिणाम में देरी जैसे विवादों से जूझ चुका है। 2021 में भी जन दबाव के बाद आयोग को श्रेणी-वार कट-ऑफ जारी करना पड़ा था।
प्रेस वार्ता में भाजपा के सह-मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक भी मौजूद थे। इस मुद्दे पर अभ्यर्थियों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया का इंतजार है, क्योंकि यह मामला झारखंड में सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

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