जानिए क्यों मिले अचानक गौतम अदाणी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ,बंद कमरे में क्या बात हुई ? अदाणी ग्रुप का झारखंड में क्या है निवेश
जानिए क्यों मिले अचानक गौतम अदाणी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ,बंद कमरे में क्या बात हुई ? अदाणी ग्रुप का झारखंड में क्या है निवेश
रांची में गौतम अदाणी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच हुई मुलाकात पर झारखंड में लोग तमाम तरीके से चर्चा कर रहे हैं वैसे तो यह मुलाकात को औपचारिक मुलाकात बताई जा रही है लेकिन इस मुलाकात में औपचारिक रूप से निवेश से संबंधित चर्चा गरम है, जाहिर है गौतम अदाणी, राज्य के गठन के बाद पहली बार रांची आए और सीएम हेमंत सोरेन से मिले। जानकारीनके मुताबिक वह शाम 7:00 बजे चार्टर्ड प्लेन से अपनी टीम के साथ पहुंचे और रात 10:00 बजे के करीब वापस लौट गए।
झारखंड में अदाणी ग्रुप का कौन-कौन सा प्रोजेक्ट चल रहा है यह हम आपको आज विस्तार से बताएंगे । लेकिन आज अचानक अदाणी को रांची आना पड़ा और सीएम हेमंत सोरेन से मिलना पड़ा यह तो बिजनेसमैन अदानी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही बता सकते हैं । लेकिन अदाणी ग्रुप झारखंड में अभी तक क्या निवेश किया है और क्या-क्या उसकी परेशानियां हैं हम आपको बताते हैं । इससे आपको समझ आ जाएगा कि आखिर अदाणी अचानक से झारखंड क्यों आए

अदाणी ग्रुप का मुख्य रूप से उनके सबसे बड़े और चर्चित प्रोजेक्ट – गोड्डा अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट – यह अदानी पावर लिमिटेड (Adani Power Limited) के तहत संचालित है।
1. गोड्डा थर्मल पावर प्लांट
स्थान: गोड्डा जिला, झारखंड
क्षमता: 1,600 मेगावाट (2 x 800 MW)
प्रकार: अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट
उद्देश्य: शुरू में इस प्लांट से उत्पन्न सारी बिजली बांग्लादेश को निर्यात करने के लिए थी। यह भारत का पहला ट्रांसनेशनल पावर प्रोजेक्ट है।
स्थिति:
पहली यूनिट (800 MW) का वाणिज्यिक संचालन 6 अप्रैल 2023 को शुरू हुआ।
दूसरी यूनिट (800 MW) का वाणिज्यिक संचालन 26 जून 2023 को शुरू हुआ।
जुलाई 2023 तक दोनों यूनिट्स पूरी तरह चालू हो चुकी हैं।
पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA):
नवंबर 2017 में बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के साथ 25 साल के लिए 1,496 MW (नेट) बिजली आपूर्ति का समझौता हुआ।
यह बिजली 400 kV डेडिकेटेड ट्रांसमिशन लाइन के जरिए बांग्लादेश ग्रिड को सप्लाई की जाती है।
विशेषताएं:
यह प्लांट 100% फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD), सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिकनवर्टर (SCR), और जीरो वाटर डिस्चार्ज सिस्टम से लैस है, जिससे पर्यावरणीय मानकों का पालन होता है।
निर्माण में 42 महीने का रिकॉर्ड समय लगा, जिसमें 105 किमी लंबी ट्रांसमिशन लाइन, निजी रेलवे लाइन, और गंगा से पानी की पाइपलाइन शामिल हैं।
कोयला स्रोत:
शुरू में स्थानीय जितपुर कोयला खदान से कोयला लेने की योजना थी, लेकिन अब यह 100% आयातित कोयले (मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के कारमाइकल माइन से) पर चलता है।
निवेश: लगभग 15,000 करोड़ रुपये का निवेश बताया गया है।
विवाद और चुनौतियां
जमीन अधिग्रहण:
इस प्रोजेक्ट के लिए 1,363 एकड़ से अधिक जमीन अधिग्रहण की गई, जिसमें से 70% से अधिक कृषि भूमि थी।
स्थानीय किसानों, खासकर संथाल आदिवासियों, ने जबरन जमीन छीने जाने का विरोध किया। 2017 में सार्वजनिक सुनवाई के दौरान हिंसा हुई, और कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनकी सहमति नहीं ली गई।
झारखंड जनाधिकार महासभा और अन्य संगठनों ने इसे गैरकानूनी और LARR एक्ट (2013) का उल्लंघन बताया।
पर्यावरणीय चिंताएं:
शुरू में चिर नदी से पानी लेने की योजना थी, लेकिन बाद में गंगा से पानी लेने का फैसला हुआ, जिसके लिए पर्यावरण मंजूरी में संशोधन की जरूरत पड़ी।
प्रदूषण और बीमारी फैलने की आशंका जताई गई।
SEZ स्टेटस:
फरवरी 2019 में यह भारत का पहला स्टैंडअलोन पावर प्रोजेक्ट बना, जिसे स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) का दर्जा मिला। इससे कर छूट और तेज मंजूरी मिली, लेकिन झारखंड को 25% बिजली देने की नीति प्रभावित हुई।
ऊर्जा नीति में बदलाव:
झारखंड की ऊर्जा नीति के तहत राज्य को 25% बिजली सस्ते दाम पर मिलनी थी, लेकिन सरकार ने 2016 में नीति बदलकर अदाणी को पूरी बिजली बांग्लादेश को बेचने और राज्य को ऊंची कीमत पर वैकल्पिक बिजली देने की अनुमति दी। इससे राज्य को 25 साल में 7,410 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान है।
वर्तमान स्थिति (मार्च 2025 तक)
बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति में हाल ही में भुगतान विवाद के कारण कमी आई है। इसके चलते अदाणी समूह अब भारत में, खासकर झारखंड सरकार को, बिजली बेचने की योजना बना रहा है।
28 मार्च 2025 को गौतम अदाणी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में मुलाकात की, जिसमें इस प्लांट और नए निवेश पर चर्चा हुई होगी ।
2. अन्य प्रोजेक्ट्स
लातेहार प्लांट:
हाल की खबरों के अनुसार, अदाणी समूह लातेहार जिले में एक नया प्लांट लगाने की योजना बना रहा है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि झारखंड सरकार ने नहीं की है।
मिथेन-आधारित उर्वरक संयंत्र:
2016 में अदाणी ग्रुप ने झारखंड सरकार के साथ 35,000 करोड़ रुपये के निवेश का MoU साइन किया था, जिसमें गोड्डा और साहिबगंज जिलों में कोल-टू-गैस तकनीक से मिथेन-आधारित उर्वरक प्लांट लगाने की बात थी।
खनन और संबंधित प्रोजेक्ट्स:
अदाणी एंटरप्राइजेज ने जितपुर कोयला खदान (गोड्डा) को 2015 में नीलामी में हासिल किया था, लेकिन इसका उपयोग गोड्डा प्लांट के लिए नहीं हुआ। इसके अलावा, अदाणी समूह ने हिंदुस्तान कॉपर की राखा और चपरी खदानों (3 मिलियन टन क्षमता) के लिए माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर (MDO) के तौर पर रुचि दिखाई है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
रोजगार सृजन: अदाणी ग्रुप का दावा है कि गोड्डा प्रोजेक्ट से क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
विरोध: दूसरी ओर, स्थानीय समुदायों का कहना है कि उनकी आजीविका (कृषि, मछली पालन आदि) छिन गई है, और प्रदूषण का खतरा बढ़ा है।
बांग्लादेश के लिए लाभ: यह प्लांट बांग्लादेश में महंगे तरल ईंधन से उत्पन्न बिजली की जगह सस्ती बिजली देने के लिए था, लेकिन भुगतान विवाद और कोयले की ऊंची कीमत ने इसे विवादास्पद बना दिया।
1. गोड्डा थर्मल पावर प्लांट
स्थान: गोड्डा जिला, झारखंड
क्षमता: 1,600 मेगावाट (2 x 800 MW)
प्रकार: अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट
उद्देश्य: शुरू में इस प्लांट से उत्पन्न सारी बिजली बांग्लादेश को निर्यात करने के लिए थी। यह भारत का पहला ट्रांसनेशनल पावर प्रोजेक्ट है।
स्थिति:
पहली यूनिट (800 MW) का वाणिज्यिक संचालन 6 अप्रैल 2023 को शुरू हुआ।
दूसरी यूनिट (800 MW) का वाणिज्यिक संचालन 26 जून 2023 को शुरू हुआ।
जुलाई 2023 तक दोनों यूनिट्स पूरी तरह चालू हो चुकी हैं।
पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA):
नवंबर 2017 में बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के साथ 25 साल के लिए 1,496 MW (नेट) बिजली आपूर्ति का समझौता हुआ।
यह बिजली 400 kV डेडिकेटेड ट्रांसमिशन लाइन के जरिए बांग्लादेश ग्रिड को सप्लाई की जाती है।
विशेषताएं:
यह प्लांट 100% फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD), सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिकनवर्टर (SCR), और जीरो वाटर डिस्चार्ज सिस्टम से लैस है, जिससे पर्यावरणीय मानकों का पालन होता है।
निर्माण में 42 महीने का रिकॉर्ड समय लगा, जिसमें 105 किमी लंबी ट्रांसमिशन लाइन, निजी रेलवे लाइन, और गंगा से पानी की पाइपलाइन शामिल हैं।
कोयला स्रोत:
शुरू में स्थानीय जितपुर कोयला खदान से कोयला लेने की योजना थी, लेकिन अब यह 100% आयातित कोयले (मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के कारमाइकल माइन से) पर चलता है।
निवेश: लगभग 15,000 करोड़ रुपये का निवेश बताया गया है।
विवाद और चुनौतियां
जमीन अधिग्रहण:
इस प्रोजेक्ट के लिए 1,363 एकड़ से अधिक जमीन अधिग्रहण की गई, जिसमें से 70% से अधिक कृषि भूमि थी।
स्थानीय किसानों, खासकर संथाल आदिवासियों, ने जबरन जमीन छीने जाने का विरोध किया। 2017 में सार्वजनिक सुनवाई के दौरान हिंसा हुई, और कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनकी सहमति नहीं ली गई।
झारखंड जनाधिकार महासभा और अन्य संगठनों ने इसे गैरकानूनी और LARR एक्ट (2013) का उल्लंघन बताया।
पर्यावरणीय चिंताएं:
शुरू में चिर नदी से पानी लेने की योजना थी, लेकिन बाद में गंगा से पानी लेने का फैसला हुआ, जिसके लिए पर्यावरण मंजूरी में संशोधन की जरूरत पड़ी।
प्रदूषण और बीमारी फैलने की आशंका जताई गई।
SEZ स्टेटस:
फरवरी 2019 में यह भारत का पहला स्टैंडअलोन पावर प्रोजेक्ट बना, जिसे स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) का दर्जा मिला। इससे कर छूट और तेज मंजूरी मिली, लेकिन झारखंड को 25% बिजली देने की नीति प्रभावित हुई।
ऊर्जा नीति में बदलाव:
झारखंड की ऊर्जा नीति के तहत राज्य को 25% बिजली सस्ते दाम पर मिलनी थी, लेकिन सरकार ने 2016 में नीति बदलकर अदाणी को पूरी बिजली बांग्लादेश को बेचने और राज्य को ऊंची कीमत पर वैकल्पिक बिजली देने की अनुमति दी। इससे राज्य को 25 साल में 7,410 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान है।
वर्तमान स्थिति (मार्च 2025 तक)
बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति में हाल ही में भुगतान विवाद के कारण कमी आई है। इसके चलते अदाणी समूह अब भारत में, खासकर झारखंड सरकार को, बिजली बेचने की योजना बना रहा है।
28 मार्च 2025 को गौतम अदाणी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में मुलाकात की, जिसमें इस प्लांट और नए निवेश पर चर्चा हुई होगी ।
2. अन्य प्रोजेक्ट्स
लातेहार प्लांट:
हाल की खबरों के अनुसार, अदाणी समूह लातेहार जिले में एक नया प्लांट लगाने की योजना बना रहा है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि झारखंड सरकार ने नहीं की है।
मिथेन-आधारित उर्वरक संयंत्र:
2016 में अदाणी ग्रुप ने झारखंड सरकार के साथ 35,000 करोड़ रुपये के निवेश का MoU साइन किया था, जिसमें गोड्डा और साहिबगंज जिलों में कोल-टू-गैस तकनीक से मिथेन-आधारित उर्वरक प्लांट लगाने की बात थी।
खनन और संबंधित प्रोजेक्ट्स:
अदाणी एंटरप्राइजेज ने जितपुर कोयला खदान (गोड्डा) को 2015 में नीलामी में हासिल किया था, लेकिन इसका उपयोग गोड्डा प्लांट के लिए नहीं हुआ। इसके अलावा, अदाणी समूह ने हिंदुस्तान कॉपर की राखा और चपरी खदानों (3 मिलियन टन क्षमता) के लिए माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर (MDO) के तौर पर रुचि दिखाई है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
रोजगार सृजन: अदाणी ग्रुप का दावा है कि गोड्डा प्रोजेक्ट से क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
विरोध: दूसरी ओर, स्थानीय समुदायों का कहना है कि उनकी आजीविका (कृषि, मछली पालन आदि) छिन गई है, और प्रदूषण का खतरा बढ़ा है।
बांग्लादेश के लिए लाभ: यह प्लांट बांग्लादेश में महंगे तरल ईंधन से उत्पन्न बिजली की जगह सस्ती बिजली देने के लिए था, लेकिन भुगतान विवाद और कोयले की ऊंची कीमत ने इसे विवादास्पद बना दिया।
जाहिर है झारखंड में अदाणी ग्रुप का सबसे बड़ा और सक्रिय प्रोजेक्ट गोड्डा थर्मल पावर प्लांट है, जो तकनीकी रूप से उन्नत होने के साथ-साथ विवादों से घिरा रहा है। जमीन अधिग्रहण, पर्यावरणीय चिंताएं, और नीतिगत बदलाव इसके प्रमुख मुद्दे रहे हैं। अदाणी समूह का झारखंड में निवेश राज्य की खनिज संपदा और रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश है, लेकिन स्थानीय विरोध इसके रास्ते में बाधा बनी हुई हैं।