हेमंत सरकार बिचौलियों, सिंडिकेट और माफियाओं के इशारे पर चलने वाली सरकार : रघुवर दास (Raghuvar Das)
Raghuvar Das News
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास आज झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जमकर बरसे इस कदर बरसे कि मानो कई सालों से कोई व्यक्ति किसी पर अपनी भड़ास निकालना चाह रहा हो । उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार बिचौलियों, सिंडिकेट और माफियाओं के इशारे पर चलने वाली सरकार है।इसके आने के बाद से राज्य में खनिज संपदा की जमकर लूट हुई है। इसके साथ ही झारखंड के बहन-बेटियां भी अस्मत भी लूटी जा रही है। पर यह सरकार मूकदर्शक बनकर बैठी है। मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि राज्य का आदिवासी अब बोका का नहीं है।
आदिवासी अब झांसे में नहीं आएगा
रघुवर दास ने कहा की मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या मुख्यमंत्री जी कहना चाह रहे हैं कि पहले आदिवासी बोका था। उन्होंने ही आदिवासियों को ठग कर 2019 में सरकार बनाई थी। वह समझ चुके हैं कि अब आदिवासी उनके झांसे में नहीं आएगा। उक्त बातें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रघुवर दास ने कहीं। वह आज दुमका परिसदन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवारवाद और भ्रष्टाचार वाली पार्टी है। आज जब उनके कारनामों के कारण ED उनके द्वार तक पहुंची है, तब उन्हें आनन-फानन में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति व पिछड़ों के आरक्षण की याद आ रही है।
ED का समन मिलने के बाद आनन फानन में फैसला
जबकि उन्होंने चुनाव में वादा किया था कि सरकार बनने के तीन माह के अंदर ही 1932 खतियान लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने ED के समन मिलने के बाद आनन फानन में एक दिन का सदन बुलाया और बिना प्रक्रिया पूरी की है 1932 का खतियान और आरक्षण नीति लागू करने का ढोंग किया। दोनों ही मामलों में नियमों का पालन नहीं किया गया। इससे मुख्यमंत्री जी की मंशा स्पष्ट होती है।
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उन्हें स्थानीय नीति लागू करना होता तो इसे केंद्र के पास भेजने की आवश्यकता नहीं थी। सातवीं अनुसूची में संविधान राज्य को स्थानीय नीति परिभाषित करने का अधिकार देता है। न्यायालय ने भी इस संबंध में अपना फैसला दिया है। जैसा कि हमने 2016 में स्थानीय नीति व नियोजन नीति परिभाषित की थी। तब इसे केंद्र सरकार के पास नहीं भेजा था। बल्कि राज्य सरकार ने अपने स्तर पर ही इसे बनाया और लागू किया था। इसके बनने के बाद एक लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी गई।
इसमें 32000 शिक्षक, 8000 सिपाही, 2200 दरोगा, वनरक्षी व अन्य पदों पर नियुक्ति की गई। इसमें 95% से अधिक मूलवासियों को सरकारी नौकरियां मिली। इसी तरह बाबूलाल मरांडी जी ने भी स्थानीय नीति बनाकर केंद्र सरकार को नहीं भेजा था, स्थानीय स्तर पर ही लागू किया था। मुख्यमंत्री जी की नियत केवल राजनीति करने की है, इसे लागू करने की नहीं है। वो आदिवासी को नागरिक नहीं समझते हैं, बल्कि केवल वोट बैंक मानते हैं।
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23 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री जी ने स्वयं विधानसभा में इससे माना था कि खतियान के आधार पर नियोजन नीति लागू नहीं की जा सकती है। लेकिन केवल राजनीति करने के लिए उन्होंने विधानसभा का सत्र बुलाकर इसे पारित करने का ढोंग किया है। जबकि इसे संकल्प के रूप में पारित करने के बाद ही केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है। हेमंत सरकार द्वारा कहा गया है कि 1932 वाली स्थानीय नीति को संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित होने के उपरांत लागू किया जा सकेगा, जबकि वह जानते हैं कि बिना प्रक्रिया का पालन किए इसे 9वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जा सकेगा। साथ ही उन्होंने इसके साथ नियोजन नीति को भी नहीं जो। इसका लाभ झारखंड के आदिवासी मूलवासी यों को नहीं मिल पाएगा।
उन्होंने कहा के मेंरा सवाल यह है कि ऐसी स्थानीय नीति क्यों बनाई जिसका लाभ झारखंड के स्थानीय को नहीं मिलेगा। यहां के लोगों को नौकरी से वंचित रखने का षड्यंत्र रचा गया है। यह मामले को उलझाने, लटकाने और भटकाने की नियत से किया गया।
इसी तरह आरक्षण बढ़ाने के मामले में भी सरकार ने राज्य की जनता को ठगने का प्रयास किया है। आरक्षण को परिभाषित करने के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण आवश्यक है। इसके साथ ही झारखंड के विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संस्थाओं से इस संबंध में गहन बातचीत की जानी चाहिए थी, ऐसा नहीं किया गया। हमारी सरकार ने 2019 में सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू की थी। उसकी रिपोर्ट आते ही पिछड़ों के आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जाती। लेकिन सरकार में आने के बाद हेमंत सोरेन ने उस प्रक्रिया को भी रोक दिया। यहां भी स्पष्ट है कि हेमंत सरकार की नियत में आरक्षण देना नहीं केवल राजनीति करना है।
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दास ने कहा कि हेमंत राज में प्रेस की आजादी को भी छीना जा रहा है। सरकार के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार व अनैतिक कार्यों को उजागर करने की सजा न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों को मिल रही है, बल्कि प्रेस का गला भी दबाया जा रहा। दुमका में ही 6 पत्रकारों पर केस किया जा चुका है, चार और पर केस करने की तैयारी चल रही है। इसी तरह शिकारीपाड़ा हो या अन्य क्षेत्रों पर पत्रकारों पर केस किया जा रहा है। संथाल परगना में ही दर्जनों पत्रकारों पर पुलिसिया जुल्म कर रही है हेमंत सरकार।
आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाली हेमंत सरकार
आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाली हेमंत सरकार में सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी बच्चे बच्ची हुए हैं। बड़ी संख्या में आदिवासी बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं हो रही है। लव जिहाद के माध्यम से लड़कियों का धर्म परिवर्तन कर जमीन जिहाद किया जा रहा है। सरकार के विशेष शाखा ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट दी है, लेकिन हेमंत सरकार वोट बैंक की राजनीति के कारण उस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। झारखंड के लिए शुभ संकेत नहीं है।
चुनाव में जनता जवाब देगी हेमंत को
3 सालों से गांव की जनता विकास कार्यों की बाट जोह रही है, लेकिन हेमंत सरकार केवल अपने परिवार की चिंता में लगी हुई है। आने वाले चुनाव में झारखंड की जनता हेमंत सरकार को इसका जवाब देगी।