एक अधिकारी जिसका दबदबा ऐसा की अदालत की आपत्ति के बाद भी उसे विभाग में शीर्ष पदों से नवाजा जाता है ।
उपेंद्र कुमार
झारखण्ड में मार्केटिंग बोर्ड के एक अफसर की तूती बोलती है ! जी हां! उस अफसर का नाम है राकेश कुमार सिंह हमने अपने एपिसोड वन में आपको बताया था की कैसे एक अधिकारी जो की वर्ष 2017 में गढ़वा जिले में घुस लेते पकड़ा जाता है और उसके बाद उसे सस्पेंड किया जाता है यहाँ तक की जानकारी यह भी है की आरोप लगने के बाद उसकी विभाग ने सेवा सम्पुष्ट भी नहीं किया है लेकिन कैसे वह मार्केटिंग बोर्ड में बड़े-बड़े पदों पर विराजमान रहता है।
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आज हम आपको खबर में राकेश कुमार सिंह की विभाग में पैठ की दूसरी कड़ी बता रहे है, इस कड़ी में आपको दिखाई देगा की इनपर गंभीर आरोप लगने के बाद जब माननीय उच्च न्यायालय ने एक वाद के संबंध में एसीबी के हाथो रंगे हाथ पकड़े गए अधिकारी के मार्केटिंग बोर्ड के उच्च पद पर रहने पर आपत्ति जताई तो मार्केटिंग बोर्ड ने आनन फानन में कोर्ट को W .P(C) 3860 / 2018 में मार्केटिंग बोर्ड की सेक्रेटरी सुनीता कुमारी चौरसिया ने काउंटर एफिडिफिट द्वारा हलफनामा दायर किया जिसमे मार्केटिंग बोर्ड की सेक्रेटरी सुनीता कुमारी चौरसिया ने शपथ पत्र दिया की राकेश कुमार सिंह को डिप्टी डायरेक्टर के पद से विमुक्त कर दिया गया है। और फिर इन्हें नोडल पदाधिकारी से भी हटा दिया गया।
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लेकिन खेल यहां नहीं है, असली खेल तो अभी बाकी है जो हम आपको बताने जा रहे हैं वह खेल माननीय उच्च न्यायालय के आपत्ती को भी ठेंगा दिखा देने जैसा है, दरअसल माननीय हाईकोर्ट के आपत्ति के बाद राकेश सिंह को हटा तो दिया गया लेकिन जैसे ही खबरें मीडिया में आनी बंद हो गई और मामला शांत सा हो गया, तो विभाग ने इन्हें फिर से नोडल अफसर के पद से सुशोभित कर दिया । जबकि कुछ दिनों बाद इन्हें हजारीबाग के मार्केटिंग अफसर सेक्रेटरी के पद पर विराजमान कर दिया गया । जिस बात की आपत्ती माननीय हाईकोर्ट ने जताई और विभाग ने आनन-फानन में कोर्ट की आपत्ति के बाद जिसे पद से हटाया उसे यानी कह सकते हैं कि राकेश सिंह को इनके विभाग में दबदबे की वजह से पिछले दरवाजे से इन्हें फिर से दोनों पद पर विभाग ने बैठा दिया
जानकारी के मुताबिक माननीय न्यायालय में मामला खत्म भी नहीं हुआ की इन्हें पुनः नोडल पदाधिकारी बना कर बोर्ड के हाईकोर्ट की आपत्ति को ठेंगा दिखा दिया जिस पर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान में मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मैं भी विरोध दर्ज कराया था।
मार्केटिंग बोर्ड में कई प्रबंध निदेशक आए और गए पर शायद किसी में हिम्मत नही रही की इस भ्रष्ट अधिकारी को इतने आरोपों के बाद भी मूल पद में नही कर पाए। साथ ही माननीय न्यायालय को भी गुमराह कर फिर से इन्हे उच्च बैठाए रखा है।