Ranchi :-कांची नदी में अवैध बालू खनन ने हाथियों का रास्ता रोका, कॉरिडोर में बंगाल ने कर दी फेंसिंग
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Drishti Now Ranchi
झारखंड में गज नाराज हैं। वे हिंसक हाे गए हैं। पिछले दाे दिनाें में ही आठ लाेगाें की जान ले चुका है। दजर्नों लाेग घायल हैं। आखिर हाथियों और इंसानों के बीच टकराव क्यों बढ़ गया, यह जानने के लिए भास्कर हाथियों के कालामाटी-महिलौंग कॉरिडोर पर पड़ने वाले 38 गांवों तक पहुंचा। पता चला कि बुंडू में कांची नदी में दिन-रात हाे रहे बालू के अवैध खनन ने हाथियों का रास्ता रोक दिया है। इस कारणा खूंटी और रांची जिले में करीब 65 हाथियों का झुंड फंस गया है। उन्हें कालामाटी-महिलौंग कॉरिडोर होते हुए पुरुलिया की ओर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा है। ऐसे में हाथी रात होते ही जंगल से निकलकर खेतों में आ जाते हैं। ग्रामीण उन्हें फसलों को नुकसान पहुंचाने से रोकते हैं और उनका इंसानों से टकराव हो जाता है।
कालामाटी-महिलौंग कॉरिडोर के बीच से कांची नदी गुजरती है। इस नदी को पार कर हाथी झारखंड और बंगाल के बीच आवागमन करते हैं। बालू माफिया इस कॉरिडोर में दिन-रात खनन कर रहे हैं। जेसीबी, हाइवा और ट्रैक्टर से हर समय शोर होता है। हर आधे किमी पर बालू डंप किया गया है, जो पहाड़ का रूप ले चुका है। नदी के दोनों किनारे पर 10 से 20 फीट तक गड्ढे हो गए हैं। इससे हाथी गांवों में घुस जाते हैं।
उधर, हाथियों को रोकने के लिए बंगाल ने इस कॉरिडोर पर पड़ने वाले हेसला जंगल (झालदा) में करीब 15 किमी दायरे में बिजली के तार की फेंसिंग कर दी है। ऐसे में हाथी भटककर झारखंड में ही घूमते रहते हैं। शेष पेज 11 पर वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी के संस्थापक अभिषेक चौबे ने कहा-इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) बताती है कि वर्ष 2015 से 2021 के बीच झारखंड में जंगल का घनत्व 23,478 वर्ग किमी से बढ़कर 23,716 वर्ग किमी पहुंच गया है।
चौबे के मुताबिक कॉरिडोर में बालू खनन से नदियों के किनारे बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। इसमें गिरकर हाथी कई बार घायल हो चुके हैं। इससे वे नदी में जाने से डरते हैं। रास्ता नहीं मिलने से वे भटकते रहते हैं और उनकी इंसानों से भिड़ंत हो जाती है।
मौतें पांच साल में झारखंड में, यह देश में दूसरे नंबर पर
केंद्रीय वन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2017 से 2022 के बीच इंसान और हाथियों के टकराव में झारखंड में 462 लोग मारे गए। वहीं ओडिशा में पांच साल में हाथियों ने 499 लोगों की जान ली। हाथियों से मौत में ओडिशा देश में पहला और झारखंड दूसरे नंबर पर है।