सिल्ली,बुंडू के साथ खलारी, में भी चल रहा है बालू का अवैध कारोबार , सरकार को करोड़ो के राजस्व का नुकसान , पुलिस मूकदर्शक, प्रशासन मौन !
रिपोर्ट : रिक्की राज
इन तस्वीरों को दिखाने के बाद कलम चलाने की जरूरत नहीं लेकिन पत्रकार को कलम चलाना जरूरी होता है । तो आइये बालू के काले कारोबार की पूरी कहानी विस्तार से समझते हैं।
झारखंड में रांची इन दोनों बालू के अवैध कारोबार के लिए नंबर वन जगह हो गया है ।आप सोच रहे होंगे हम ऐसा क्यों कह रहे हैं । दरअसल इनदिनों रांची में बालू का अवैध कारोबार चरम पर है । लेकिन बालू के अवैध धंधे में सिर्फ बुंडू बदनाम है क्योंकि अखबारों में रोज ,सोशल मीडिया में और टीवी चैनलों में प्रतिदिन खबरें बालू के अवैध कारोबार पर छपती है । लेकिन छपती सिर्फ और सिर्फ बुंडू के कांची नदी से उठने वाले अवैध बालू को लेकर छपती है । लेकिन इन दोनों रांची का दूसरा इलाका भी बालू के अवैध कारोबार के लिए बालू माफियाओं के लिए एकदम निश्चित और निफिक्र कर देने वाला है जहां ना तो पुलिस का डर ना प्रशासन के रडार में आने का कोई भय।
रांची से 40 से पचास किलोमीटर दूर खलारी यूं तो कोयले के लिए मशहूर है । लेकिन इन दिनों वहां कोयला नहीं बालू अवैध धंधे का खेल चल रहा है । सिर्फ खलारी ही नहीं मैक्लुस्कीगंज ,पिपरवार में इनदिनों बालू के अवैध कारोबार का ऐसा खेल चल रहा है जिसमे सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है । यहां का कारोबार बड़े ही आसानी से बालू माफिया चला रहे है। क्योंकि यह पुलिस से लेकर पत्रकार तक की मैनेज होने की बात सामने आई है । तभी तो थाने के बगल से बालू लदी गाड़ियां गुजरती है और पुलिस की आंखे बंद रहती है । रांची के DMO यानी डिस्टिक माइंस ऑफिसर क्यो चैन की नींद सोते है इसका पता इससे चलता है की जब हमारी टीम वहां पहुचती है तो यह यह अवैध कारोबार साफ साफ तस्वीरों में नजर आ जाता है । तो सरकार का इतना बड़ा तंत्र होते हुए भी क्यों राज्य के राजस्व का नुकसान होने दिया जा रहा है ,और सारा रुपया सिंडिकेट के जेब मे जा रहा है वहां से कहाँ जाता है इसे लिखने की जरूरत नही है ।
खलारी के चुरी नदी , पिपरवार का सफ़ी नदी और दामोदर नदी का बालू माफिया ऐसे निकाल कर बेच रहा है ,जैसे मानो उसने पूरी नदी का बालू कुछ ही महीने में खत्म करने की कसम खा रखी हो ।
नदी से जुड़ने वाली राय बस्ती,मनकी कालोनी के नीचे और होअर बस्ती , सफ़ही नदी , बचरा झुलनपुर के बगल से बालू का उठाव होता है
फिर रात में टर्बो और ट्रैक्टर से बुढ़मू थाना पार होते हुए डंप होती है । यही नहीं कुछ गड़िया तो बीजूपाड़ा ,ठाकुरगांव, कांके और रांची के कई इलाकों में पहुंचाई जाती हैं । लेकिन सबसे हैरत की बात यह है कि रात को होने वाला यह बालू का काला कारोबार ऐसे होता है, मानो यह दिन के उजाले में हो रहा हो , क्योंकि खलारी, पिपरवार से रांची आते वक्त जितनी भी थाने आपको दिखाई देती है सारे चुपचाप रहते हैं मानो इनको किसी बड़े अधिकारी का आदेश हो कि आपको चुप रहना है । आपको अपनी आंखें बंद कर लेनी है ,या फिर पुलिस की लोकल स्तर पर मिली भगत होती है ,क्योंकि इतनी बेधड़क धड़ल्ले से बालू का थानों से पार होना संभव नहीं है जब तक की पुलिस की मिलीभगत ना हो । वैसे आई वाश करने के लिए पुलिस आपको अपने थाने के बाहर एक दो ट्रैक्टर बालू की पकड़ी हुई दिखाई देगी ,ताकि उच्च अधिकारियों का कभी जांच हुआ तो यह दिखाया जा सके कि हम लोग अवैध बालू पर कार्रवाई करते हैं और बालू माफिया को पकड़ते हैं मगर यह साफ-साफ आई वाश होता है।