रांची: सिल्ली-बुंडू में अवैध बालू परिवहन बेकाबू, पुलिस मूकदर्शक, DMO और स्थानीय नेता खामोश ,देखे वीडियो
रांची: सिल्ली-बुंडू में अवैध बालू परिवहन बेकाबू, पुलिस मूकदर्शक, DMO और स्थानीय नेता खामोश
रांची, 8 मई : राजधानी रांची के सिल्ली और बुंडू इलाकों में अवैध बालू खनन और परिवहन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात सिल्ली के बुंडू मोड़ पर अवैध बालू लदे दर्जनों हाइवा धड़ल्ले से गुजरते देखे गए, और चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान पुलिस कर्मी भी मौके पर मौजूद थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जबकि हाइवा बिना किसी रोक-टोक के रांची की ओर बढ़ते रहे।
पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
सिल्ली और सोनाहातू इलाकों में अवैध बालू का कारोबार लंबे समय से चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, हर दिन 70-80 हाइवा अवैध बालू का परिवहन करते हैं, लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पुलिस और बालू माफिया के बीच सांठगांठ है। टोकन सिस्टम के तहत 500 रुपये प्रति हाइवा के हिसाब से सौदा होता है, जिसके बाद गाड़ियों को बिना रोक-टोक रांची पहुंचाया जाता है।”
DMO की कार्रवाई या दिखावा
रांची जिला प्रशासन और जिला खनन पदाधिकारी (DMO) ने समय-समय पर अवैध खनन के खिलाफ अभियान चलाने का दावा किया है। मीडिया खबरों के मुताबिक पिछले साल दिसंबर 2024 में उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के निर्देश पर 15 वाहन जब्त किए गए थे, जिनमें 12 बालू लदे थे, और 45 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लेकिन क्या यह आईवाश था क्योंकि इसके बावजूद, सिल्ली और बुंडू में अवैध बालू का कारोबार बेरोकटोक जारी है। DMO की कार्रवाइयां सतही और दिखावटी बताई जा रही हैं, क्योंकि बड़े माफियाओं पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा।
स्थानीय नेताओं की चुप्पी
सिल्ली और सोनाहातू में अवैध बालू के कारोबार में कुछ स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता की भी चर्चा है। खबरों के मुताबिक सफेदपोश इस धंधे को नियंत्रित करते हैं, जो सिस्टम को “ऊपर से नीचे तक मैनेज” करने में माहिर हैं। यही कारण है , स्थानीय विधायक और अन्य नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। सवाल उठता है कि क्या इन नेताओं का मौन माफियाओं को संरक्षण दे रहा है?
बालू माफिया का नेटवर्क
अवैध बालू का खनन राडू, कांची, और स्वर्णरेखा नदियों से बड़े पैमाने पर हो रहा है। माफिया एक सुनियोजित टोकन सिस्टम के तहत काम करते हैं, जिसमें हाइवा का नंबर दर्ज किया जाता है और उन्हें सुरक्षित मार्ग प्रदान किया जाता है। इस नेटवर्क में कुछ सफेदपोश भी शामिल बताए जाते हैं, जो पर्दे के पीछे से कारोबार को संचालित करते हैं।
प्रशासन से मांग
कई स्थानीय और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस अवैध कारोबार पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने भी इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस और DMO ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो यह धंधा और बेलगाम हो जाएगा।
जाहिर है सिल्ली और बुंडू में अवैध बालू परिवहन का यह खेल न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी चपत लगा रहा है। पुलिस की निष्क्रियता, DMO की सुस्त कार्रवाई, और स्थानीय नेताओं की खामोशी इस समस्या को और गहरा रही है।