Ranchi News :- झारखंड के 7 जिलों की नहर योजनाओं पर 2 हजार करोड़ खर्च, पर खेतों में नहीं पहुंचा पानी
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संयुक्त बिहार रहा हो या अब झारखंड। राज्य में सरकारें बदलती रहीं। नहर निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहते रहे, फिर भी नहर अधूरी और सूखी हैं। झारखंड के 7 जिलों में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए।
पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम और जामताड़ा में 5 दशक से नहरों का निर्माण चल रहा है। फिर भी खेत प्यासे हैं। 2022 में 22 जिले सूखाग्रस्त घोषित किए गए थे। इस साल अभी से जलसंकट झेलना पड़ रहा है। जल संसाधन विभाग की योजनाएं पूरी होती तो किसानों को संकट नहीं होता।
1977 में 129 करोड़ की लागत से स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना शुरू हुई। 45 सालों में15 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च हो चुके हैं, पर प्रोजेक्ट अधूरा है। ईडी जांच के घेरे में आए ग्रामीण विकास के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम लंबे समय तक इस परियोजना से जुड़े रहे हैं। वे मूल रूप से जल संसाधन विभाग के अभियंता हैं।
विभागीय योजनाओं का हाल जानें ताे पूर्वी सिंहभूम में स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट के तहत 85 करोड़ की नहर योजना में 63 करोड़ रुपए खर्च हो गए। इतनी राशि खर्च होने के बाद भी 90% काम बाकी है। जामताड़ा में विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो के नाला क्षेत्र में 10 कराेड़ की सिंचाई याेजना पर 400 कराेड़ खर्च हाे गए। 47 साल बाद भी एक बूंद पानी नहीं मिला है। अब भी काम बाकी है।
पलामू में 1200 करोड़ रुपए खर्च, 7 दशक बाद भी नहीं मिला लाभ
पलामू देश का ड्राई जोन वाला इलाका है। यहां हर दूसरे साल सूखा पड़ता है। बिहार में 70 के दशक में 3 सिंचाई परियोजनाएं शुरू हुई थी। उत्तर कोयल नहर (मंडल डैम), बटाने और कनहर सिंचाई परियोजना।
योजनाओं पर 1200 करोड़ से ज्यादा खर्च के बाद भी पानी नहीं मिला। 600 कराेड़ की सोन पाइप लाइन परियोजना से पलामू के सूखे खेतों तक पानी पहुंचेगा। लातेहार दौरा के क्रम में सीएम हेमंत सोरेन ने भी कहा था कि जल्द टेंडर करा काम शुरू कराया जाएगा। योजना से पलामू और गढ़वा को लाभ मिलेगा।
घाटशिला में 85 करोड़ की नहर योजना में 63 करोड़ खर्च, 90% काम बाकी
सुवर्णरेखा परियोजना के तहत घाटशिला में गालूडीह बराज से बहरागोड़ा तक बायीं मुख्य नहर का निर्माण होना था। 85 करोड़ की योजना में 63 करोड़ रुपए खर्च हो गए, लेकिन 90% काम नहीं हो पाया है। 9 साल गुजर गए, 65.5 किमी में सिर्फ 7 किमी नहर बन पाई है। टुमांगडुंगरी से मऊभंडार तक नहर निर्माण नहीं हुआ। 2014 से एसईडब्ल्यू कंपनी काम कर रही थी। कुछ दिनों बाद ही काम बंद कर दिया।
गढ़वा में खुदाई चलती रही, लेकिन अबतक किसानों को नहीं मिला पानी
1966-67 में पलामू में अकाल पड़ा था। तब बायीं बांकी जलाशय पर काम शुरू हुआ। नहर की खुदाई हुई। कांडी में खरौंधा व मोरबे नहर का निर्माण हुआ। करोड़ों खर्च के बाद भी नहर सूखी रही। 2021-22 से 196 करोड़ से 26 किमी लंबी नहर बन रही है। 1995-96 में मोहम्मदगंज के भीम बराज से 11 किमी लंबी नहर की खुदाई हुई, पर पानी नहीं मिला। चतरा में अंजनवा व प. सिंहभूम में ब्राह्मणी परियोजना का यही हाल है।
मुख्य अभियंता के कार्यों की कराई जाए जांच : विद्युतवरण
जमशेदपुर सांसद विद्युतवरण महतो ने सुवर्णरेखा परियोजना के मुख्य अभियंता अशोक दास पर गड़बड़ी के आरोप लगाए। कहा कि 85 करोड़ रुपए की योजना में बिना काम कराए ठेका कंपनी को 63 करोड़ दे िदया गया। 9 साल गुजर गए, काम नहीं हो पाया है।
30 जून 2024 तक पूरी होगी सोन कनहर योजना : वीडी राम
पलामू सांसद वीडी राम ने कहा कि सोन कनहर पाइप लाइन सिंचाई योजना को मार्च 2022 तक पूरा करना था। अब यह योजना 30 जून 2024 तक पूरी हो पाएगी। जमीन का अधिग्रहण नहीं होने के कारण दिक्कत आ रही है। अभी 50% काम पूरा हुआ है।
योजना कब पूरी होगी, बता पाना मुश्किल : रवींद्रनाथ
नाला विधायक रवींद्रनाथ महतो ने कहा है कि सिंचाई योजना कब पूरी होगी, यह बता पाना मुश्किल है। किसानों को लाभ कब तक मिल पाएगा। बता नहीं सकता। मैंने सरकार को लिखा है कि याेजना को जल्द पूरा करवा दीजिए। पुराना प्रोजेक्ट है।
जामताड़ा में 10 कराेड़ की सिंचाई याेजना पर बहाए 400 कराेड़
जामताड़ा में 10.34 करोड़ से अजय नदी से सिंचाई योजना के लिए 117 किमी लंबी नहर बननी थी। निर्माण में 400 कराेड़ रुपए बहाए गए। 5 वर्ष की याेजना 47 साल में अधूरी है। 1975 में बिहार के तत्कालीन नाला विधायक डाॅ. विश्वेश्वर खां ने नहर का शिलान्यास किया था। इससे 40510 हेक्टेयर खेत की सिंचाई का लक्ष्य था।
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