तामड़ा में 1835 से चली आ रही भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा, आज मेले में उमड़ेगा जनसैलाब
शंभू कुमार सिंह
सिमडेगा जिले के ऐतिहासिक तामड़ा गांव में आज भगवान श्रीजगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी। यह परंपरा 1835 से अनवरत जारी है और अब यह जिले की धार्मिक आस्था व सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुकी है।
रथ यात्रा के दौरान भगवान अपने भव्य रथ पर सवार होकर भक्तों के बीच मौसी बाड़ी पहुंचेंगे, जहां नौ दिनों तक पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन होगा। इस अवसर पर तामड़ा में विशाल मेला लगेगा, जहां दूर-दराज से आए श्रद्धालु मेला का आनंद लेंगे। मेले में झूले, मिठाइयां, खिलौने और स्थानीय उत्पादों की दुकानें आकर्षण का केंद्र होंगी।
तामड़ा की रथ यात्रा की शुरुआत टभाडीह बस्ती से हुई थी। कुंजल पुरी उर्फ भूषडू बाबा ने इस परंपरा की नींव रखी। शुरू में मिट्टी के मकान में भगवान की प्रतिमाएं स्थापित थीं, लेकिन चंद्रभान सेठ के प्रयास से त्रिमूर्ति मंदिर का निर्माण हुआ, जहां मां दुर्गा, लक्ष्मी नारायण और भगवान जगन्नाथ की प्रतिमाएं विराजमान हैं। इस परंपरा को गंगा दयाल पुरी, रामानंद पुरी, काशीनाथ पुरी और राजकिशोर पुरी ने आगे बढ़ाया। वर्तमान में विजय पुरी, श्रीराम पुरी और जितेंद्र पुरी इस आयोजन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
लगभग 25 वर्ष पहले चंद्रभान सेठ की अगुवाई में बनवाया गया रथ आज भी यात्रा का हिस्सा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है, जो तामड़ा गांव को पूरे जिले में विशिष्ट पहचान देता है।
रथ यात्रा के साथ लगने वाला मेला हर वर्ग के लिए आकर्षण का केंद्र है। भंडारे और विशेष पूजा के दौरान श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह आयोजन तामड़ा की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखता है और सामाजिक एकता को मजबूत करता है।
तामड़ा की रथ यात्रा और मेला न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी आस्था और उत्सव का अनूठा संगम है।