noise pollution jharkhand

क्या झारखण्ड के धार्मिक स्थल की ध्वनि प्रदूषण नहीं रोकना चाहती है राज्य सरकार ? state government does not want to stop the noise pollution of religious places

state government does not want to stop the noise pollution of religious places

पुरे देश में इन दिनों लाउडस्पीकर को लेकर विवाद चल रहा है.  ज्यादातर धार्मिक लाउडस्पीकर पर राज्यों और शहरों से मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की बात नेता कह रहे हैं. एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का सरकार को अल्टीमेटम देकर फिर एक बार नया विवाद छेड़ दिया है.

मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक से बीजेपी नेता मस्जिदों से लाउडस्पीकर को हटाने की बात कह रहे हैं.  सभी जगह की सरकारों ने मस्जिद हो या मंदिर लाउडस्पीकर हटाया जा रहा है  पुलिस इन दिनों प्रदूषण आवाज से प्रदूषण मापने वाला यंत्र लेकर घूम रही है  किसी मस्जिद में लाउडस्पीकर का साउंड कम कर दिया गया हो तो लाउडस्पीकर को मस्जिद में ही रहने दिया जा रहा है उसे हटाया नहीं जा रहा है लेकिन  झारखंड के सरकार सोई है सुप्रीम कोर्ट का क्या झारखंड सरकार के लिए नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरे देश के लिए होता है और पूरे देश की सरकार है इस पर अमल कर रही हैं लेकिन झारखंड सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन के अंदर नहीं आता क्योंकि मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर को लेकर झारखंड की सरकार कोई पहल नहीं कर रही है लाउडस्पीकर का साउंड कम करने के लिए मस्जिद कमेटी को कोई आदेश अभी तक गया है ना ही पुलिस कार्यवाही कर रही है  सरकार ध्वनि प्रदूषण को लेकर कोई कदम नहीं उठाना चाहती है या फिर झारखंड सरकार वोट बैंक की राजनीति को देख रही है

लाउडस्पीकर विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकर को लेकर एक आदेश पारित किया था, जो उसने 2005 में दिया था. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश क्या कहता है? क्या हैं इसके नियम आईए जानते हैं.

 लाउडस्पीकर पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सन 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी सार्वजनिक स्थल पर रात 10 से सुबह 6 बजे तक शोर करने वाले उपकरणों पर पाबंदी लगाई हुई है. इस आदेश के तहत लाउडस्पीकर से लेकर तेज आवाज वाले म्यूजिक बजाना, पटाखे चलाने से लेकर हॉर्न बजाने पर रोक लगा दी गई है. चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी और जस्टिस अशोक भान की खंडपाठ ने ये आदेश दिया था. खंडपाठ ने अपने आदेश में रात के वक्त किसी भी ध्वनी प्रदूषण करने वाले उपकरण के उपयोग पर रोक लगा दी है.

ध्वनि प्रदुषण को लेकर क्या है नियम क्या कहता है कानून ?

ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 जो पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत आता है की 5वीं धारा
लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर मनमाने अंदाज में बजने पर अंकुश लगाता है.

1. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी होगी.

2. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र रात में नहीं बजाए जा सकेंगे. इसे रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बजाने पर रोक है..
हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है.

3. नियम की उपधारा (2) के अनुसार, राज्य सरकार इस संबंध में कुछ विशेष परिस्थितियों में रियायतें दे सकती है. वह किसी संगठन या
धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर चलने वाले यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे
तक दे सकती है. हालांकि किसी भी परिस्थिति में एक साल में 15 दिन से ज्यादा ऐसी अनुमति नहीं दी जा सकती.

राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह क्षेत्र के हिसाब से किसी को भी औद्योगिक, व्यावसायिक, आवासीय या शांत क्षेत्र घोषित
कर सकता है. अस्पताल, शैक्षणिक संगठन और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में ऐसे कार्यक्रम नहीं कराए जा सकते, क्योंकि सरकार इन
क्षेत्रों को शांत जोन क्षेत्र घोषित कर सकती है.

किन क्षेत्रों में क्या है ध्वनि सीमा 

इस नियम के अनुसार,

सार्वजनिक और निजी स्थलों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा क्रमश: 10 डेसीबल और पांच डेसीबल से अधिक नहीं  हो सकती है रिहाइशी इलाकों में ध्वनि का स्तर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसीबल तक ही
रख जा सकता है. जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 65 डेसीबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 55
डेसीबल तक का स्तर होना चाहिए. दूसरी ओर, औद्धोगिक इलाकों में इस दौरान ध्वनि स्तर को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 75
डेसीबल रख सकते हैं. वहीं शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) में इन दौरान क्रमश: 50 डेसीबल और 40 डेसीबल ध्वनि का स्तर रखा जाना चाहिए.

पर्यावरण (संरक्षण) 1986 कानून की धारा 15 के तहत इसे दंडनीय अपराध माना गया है. नियम का उल्लंघन करने पर 5 साल की जेल या
एक लाख का जुर्माना या फिर दोनों (जेल और जुर्माना) सजा दी जा सकती है.

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