बिजली पोल नहीं, अभी भी बांस के सहारे जल रही रोशनी।
बिजली पोल नहीं, अभी भी बांस के सहारे जल रही रोशनी।
बिजली विभाग की लापरवाही से जामताड़ा पर मंडरा रहा मौत का साया।
कहीं करंट का कहर ना बरपा दे मौत का तांडव।
जामताड़ा : हम 21 सदी में है और बिजली विभाग स्मार्ट मीटर तक पहुँच गया है । लेकिन बिजली विभाग की वो लापरवाही है, जो किसी भी दिन मौत का पैगाम बन सकती है !
मामला जामताड़ा प्रखंड के पाकडीह नया मोहल्ला का है, जहां लोग ‘हर घर बिजली’ नहीं, बल्कि ‘हर घर मौत’ के साये में जी रहे हैं। बिजली का पोल नहीं तो बांस का सहारा ले लिया है। लेकिन क्या ये सहारा जानलेवा नहीं? एक गलत स्पर्श और पूरा मोहल्ला करंट के जाल में तब्दील हो सकता है।
झारखंड का बजट नया कीर्तिमान स्थापित करेगा : पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता
सड़क पर चलते ही तारों से करंट लगने का डर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को सता रहा है। मोहल्ले के लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बरसात में ये पूरा इलाका मौत का जाल। बन सकता है लेकिन बिजली विभाग के अफसर सो रहे हैं। “हर महीने बिजली बिल, हर महीने फाइन। लेकिन जब पोल लगाने की बारी आई तो अफसरों ने आंखें मूंद लीं। गरीबों से जबरन वसूली हो रही है, लेकिन उनकी सुरक्षा की कोई चिंता नहीं।
खोखला और घिसा पिटा बजट,दूरदर्शिता का अभाव. : बाबूलाल मरांडी
ग्रामीणों का कहना है – जब भी हम लोग विभाग में शिकायत करते हैं, जवाब मिलाता है – ‘जल्द होगा’ लेकिन ये ‘जल्द’ कब आएगा? क्या किसी की मौत का इंतजार कर रहा प्रशासन?’ क्या कोई बड़ा हादसा ही इस गहरी नींद में सोए प्रशासन को जगा सकता है? ये सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं… ये सरकार और प्रशासन को खुली चुनौती है” अगर अभी कुछ नहीं किया गया, तो ये मोहल्ला एक बड़े हादसे का शिकार हो सकता है।
केंद्रीय कारा मेदिनीनगर में बंद कैदी ने की आत्महत्या, मामले की जांच में जुटी पुलिस
सरकार के वादों और हकीकत के बीच की खाई अब साफ दिख रही है। जामताड़ा के लोग क्या यूं ही मौत के मुंह में धकेले जाते रहेंगे?हम पूछते हैं – कब जागेगा प्रशासन? कब तक चलेगा ये करंट का खेल? अगर अब भी कुछ नहीं हुआ, तो अगली खबर हो सकती है – ‘जामताड़ा में करंट से मौत का तांडव!’”ये कोई धमकी नहीं, ये हकीकत की दस्तक है।
प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो सिस्टम को झकझोर कर रख देंगे। हमारी रिपोर्ट सरकार और सिस्टम को जगाने के लिए है, इससे पहले कि जामताड़ा की ये लापरवाही एक दर्दनाक हादसे में बदल जाए।