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कोडरमा थर्मल पावर प्लांट के ऐश पौंड में फंसे दो हाथी, रेस्क्यू के लिए बंगाल से विशेषज्ञ टीम बुलाई गई

कोडरमा थर्मल पावर प्लांट के ऐश पौंड में फंसे दो हाथी, रेस्क्यू के लिए बंगाल से विशेषज्ञ टीम बुलाई गई

कोडरमा, झारखंड – कोडरमा थर्मल पावर प्लांट (KTPS) के विस्तारीकरण के तहत निर्माणाधीन ऐश पौंड में दो विशालकाय हाथी फंस गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। लगभग 250 एकड़ में फैले इस ऐश पौंड के चारों ओर 25-30 फीट ऊंचे बंड के कारण हाथियों को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है।

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घटना की जानकारी के अनुसार, हाथी दक्षिणी छोर पर निर्माणाधीन बाउंड्री के रास्ते प्लांट परिसर में दाखिल हुए और ऐश पौंड में फंस गए। वन विभाग की टीम, रेंजर रविंद्र कुमार के नेतृत्व में, मौके पर पहुंच चुकी है और ड्रोन कैमरों की मदद से हाथियों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। वहीं, बंगाल के बांकुड़ा से विशेषज्ञ रेस्क्यू टीम को बुलाया गया है, जो जल्द ही हाथियों को सुरक्षित निकालने का प्रयास करेगी।

प्लांट के चीफ इंजीनियर मनोज ठाकुर ने घटनास्थल का दौरा किया और लोगों से क्षेत्र में आवाजाही कम करने की अपील की। उन्होंने कहा, “वन विभाग की टीम मौके पर है, और हम जल्द से जल्द हाथियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए काम कर रहे हैं।”

स्थानीय लोगों में दहशत, वन विभाग पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय निवासियों ने बताया कि पिछले दो महीनों में हाथियों ने क्षेत्र में चार लोगों की जान ले ली है, जिससे भय का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग पर हाथियों को रिहायशी इलाकों से दूर रखने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हाथी बार-बार गांवों में घुस रहे हैं, लेकिन वन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।”

रेस्क्यू ऑपरेशन की योजना
रेंजर रविंद्र कुमार ने बताया कि फिलहाल पटाखों और मशालों के जरिए हाथियों को भगाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, “हम लगातार हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वे बार-बार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैं। बांकुड़ा की रेस्क्यू टीम के आने के बाद हम इन्हें सुरक्षित निकालने की पूरी कोशिश करेंगे।”

क्षेत्र में हाथियों का आतंक
हाल के महीनों में कोडरमा और जयनगर प्रखंड में हाथियों ने फसलों, घरों और अनाज को भारी नुकसान पहुंचाया है। वन विभाग के डीएफओ सौमित्र शुक्ला ने हाल की घटनाओं को दुखद बताते हुए कहा कि विभाग हाथियों को जंगल में वापस भेजने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने यह भी बताया कि मृतकों के परिजनों को वन अधिनियम के तहत 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है, जिसमें से तत्काल 25,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है।

जाहिर है यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष और जंगल क्षेत्रों में बढ़ते अतिक्रमण की गंभीर समस्या को उजागर करती है। वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि जंगलों की कटाई और औद्योगिक परियोजनाओं के विस्तार के कारण हाथी अपने प्राकृतिक आवास से भटककर रिहायशी इलाकों में आ रहे हैं। कोडरमा में अवैध खनन और जंगल कटाई की समस्या ने भी इस स्थिति को और जटिल किया है।[]

वन विभाग और स्थानीय प्रशासन से लोगों ने मांग की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय किए जाएं, ताकि न केवल मानव जीवन की रक्षा हो, बल्कि वन्यजीवों को भी सुरक्षित रखा जा सके।

 

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