Yashwant Sinha

भारत में प्रजातंत्र खतरे में है : यशवंत सिन्हा ( YASHWANT SINHA )

 

UPA  की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ( YASHWANT SINHA ) शनिवार को रांची में थे और कांग्रेस के विधायकों  से वोटिंग के दौरान उन्हें  वोट देने की अपील की। इससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की और उनसे भी वोट माँगा। इसके बाद जब वे मीडिया के सामने आये तो मोदी सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा दी।  उन्होंने कहा की भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद मुश्किल समय में हो रहा है। हमारे गणतंत्र को संविधान के लिए इससे पहले कभी भी एक साथ इतने खतरों का सामना नहीं करना पड़ा। संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की सबसे अनमोल देन थी, हर दिन नए खतरों का सामना कर रही है। सत्ताधारी दल को सत्ता पर कब्जा करने एवं अपनी ताकत बढ़ाने के करने के लिए संविधान के मूल्यों, आदर्शों और अवरोधों का उल्लंघन करने में कोई शर्म या संकोच नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा की विपक्षी दलों में दलबदल करवाने और उनके द्वारा चलाई जा रही राज्य सरकारों को गिराने के लिए ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग जैसी एजेंसियों और यहां तक कि राज्यपाल कार्यालय काभी बेशर्मी से दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसा मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और हाल ही में महाराष्ट्र में हुआ है। इसके लिए बेहिसाब धन का इस्तेमाल किया जा रहा है। सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे करियर में मैंने कभी भी ‘ऑपरेशन लोटस को लोकतंत्र के लिए इतना खतरनाक नहीं देखा। अगर निकट भविष्य में झारखंड में झामुमो-कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए इसी तरह की गंदी रणनीति अपनाई •जाए तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। लोकतंत्र पर सबसे ताजा अटैक वो तरीके हैं जिससे सत्तारूढ़ दल संसद सदस्यों के अधिकारों और स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश कर रहा है। “भ्रष्ट”, “जुमलाजीवी”,”विश्वासघात” जैसे कई शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया, जो संसद में स्वतंत्र बहस का मजाक बनाता है। इसके अलावा, सांसदों को अब संसद परिसर के अंदर  शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने से भी रोक दिया गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से मिसमैनेज्ड है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय‍ रुपये के मूल्य में सबसे बड़ी गिरावट वर्तमान प्रधान मंत्री के कार्यकाल के दौरान हुई है। ज रूप्या 2014 में 58.44 का ता आज 80.05 तक पहुंच गया है। ये और गिर सकता है अभूतपूर्व मूल्य वृद्धि ने आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। उदाहरण के लि 2014 में एक रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी। आज रांची में यह 1129 रुप है। लगभग 300% की वृद्धि। रिकॉर्ड बेरोजगारी ने देश के युवाओं के लिए एक अंधकारमय भविष्य बना दिया है। धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान की प्रस्तावना के स्तंभों में से एक है। सत्ताधारी दल अ उनकी सरकार साम्प्रदायिक घृणा और हिंसा फैलाकर इसे सुनियोजित ढंग से ख करती रही है। चुनावी फायदे के लिए भारत के बहुधार्मिक समाज का ध्रुवीकरण कि जा रहा है। इसके परिणाम भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए अ खतरनाक हो सकते हैं।

यशवंत सिन्हा ने कहा की ऐसे समय में भारत को एक ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है जो संविधान के संरक्षक के रूप कार्य करे। राष्ट्रपति को बिना किसी डर या पक्षपात के अपने स्वविवेक का इस्तेमाल करना चाहिए और जब भी आवश्यक हो, कार्यपालिका को संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन करने से रोकना चाहिए। अपने चुनाव अभियान के दौरान, मैंने देश के सामने विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों प निडरता से अपने विचार रखे हैं। इस क्रम में मैंने साठ से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया है और मीडिया इंटरव्यू दिए हैं। मैंने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि भारत के लोग गणतंत्र के सर्वोच्च पद के उम्मीदवारों से यह जानने की उम्मीद करते हैं कि देश के विभिन्न मुद्दों एवं चुनौतियों पर उनके विचार क्या हैं। हालांकि, मेरे प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार ने पूरे प्रचार अभियान के दौरान चुप्पी साध रखी है। उन्होंने भारत में आदिवासी समुदायों से संबंधित मुद्दों पर भी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी। आज मैं फिर वही दोहरा रहा हूं जो पहले भी कई बार कहा है: मैं श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का व्यक्तिगत रूप से बहुत इज्जत करता हूं। लेकिन वोट देने जा रहे सदस्यों एवं भारत के लोगों से मेरे कुछ सवाल हैं:

1) क्या भारत में एक मौन राष्ट्रपति होना चाहिए?

(2) क्या भारत में रबर-स्टांप राष्ट्रपति होना चाहिए?

3) भारत के अगले राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री की रक्षा करनी चाहिए या संविधान की रक्षा
करनी चाहिए?

यशवंत सिन्हा ने कहा की राष्ट्रपति चुनाव में कोई व्हिप नहीं होता है। ये गुप्त मतदान के माध्यम से होता है। संविधान के महान निर्माताओं ने गुप्त मतदान की विधि इसीलिए तैयार की थी ताकि राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने वाले सदस्य अपनी पार्टी के निर्णय से बाध्य होने की बजाए स्वतंत्र रूप से अपने अंतरआत्मा की आवाज सुनें। इसलिए,उन्होंने  सभी सांसदों और विधायकों कि की दल एवं पार्टी से उपर उठकर मुझे वोट दें।

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