Dr.C B Sahay Rajendra Institute Of Medical Sciences

समाज की सेवा कर पाना चित्रगुप्त भगवान की भेट : डॉ सी बी सहाय

समाज की सेवा कर पाना चित्रगुप्त भगवान की भेट, यह बात मशहूर न्यूरोसर्जन और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के झारखंड के अध्यक्ष डॉक्टर सी बी सहाय ने कहीं , उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली लहर में वह काफी बीमार हो गए थे, उन्हें ऐसा लग रहा था कि शायद वो कभी बेड से नहीं उठ पाएंगे ! तभी सपने में भगवान चित्रगुप्त ने उन्हें दर्शन दिए और कहा की आपको अभी लोगों की सेवा करनी है।
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उसी के बाद लगातार उनका बुखार कम होने लगा और धीरे धीरे वे ठीक हो गए। इस घटना के बाद डॉक्टर सी बी सहाय ने गरीब मरीजों के लिए देखने का वक्त लिमिट नहीं रखा। वह सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक गरीब मरीजों को देखते हैं, या फिर उनके पास गरीब या अमीर मरीजो का कोई फर्क नहीं रह जाता है । वे सभी मरीजों को सामान रूप से समान भाव से देखते हैं। डॉ सी बी सहाय ने बताया कि इस घटना के बाद से ही उन्हें प्रेरणा मिली है अब वह जब अपनी ड्यूटी खत्म करते हैं, तो फिर समाज के लिए समय निकालते हैं।
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उन्होंने बताया कि जितना भी समय निकल पाता है वह समाज को देते हैं, इसलिए उन्होंने अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष के पद पर रहना भी स्वीकार किया, क्योंकि उन्हें अब समाज को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाना है। समाज के लिए कुछ करने की उनके मन की तमन्ना अब और प्रगाढ़ गई है, उन्होंने यह भी बताया कि करीब 300 मरीज देखने के बाद उनका शरीर टूट जाता है, लेकिन वह समाज के लिए समय निकालना नहीं भूलते। डॉ सहाय ने बताया की इन दिनों कायस्थ समाज पॉलिटिकल तौर पर हाशिए पर चला गया है। उन्हें राजनीतिक रूप से जगह तो मिलती है,लेकिन मेन स्ट्रीम में जगह नहीं मिलती कोई भी राजनीतिक दल कायस्थ समाज को जाति को मेन स्ट्रीम में जगह दे, इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रहे हैं।

प्रणव कुमार बब्बू और डॉक्टर सी बी सहाय एक साथ
प्रणव कुमार बब्बू और डॉक्टर सी बी सहाय एक साथ

डॉक्टर साहब ने यह भी बताया कि कोरोना के समय अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रणव कुमार बब्बू ने इस महासभा की ओर से सभी लोगों को होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एल्बम बांटी जिससे हजारों लोग कोरोना पीड़ित होने से बचे हैं। कायस्थ समाज कभी भी सामाजिक जातिगत बेड़िया नहीं देखता वह समाज के हर तबके हर जातियों के लिए कार्य करता है, यही कायस्थ महासभा की शुरू से नीति रही है। सर्वधर्म समभाव के साथ-साथ सभी जातियों को एक समान देखना कायस्थ महासभा की नीतिगत फैसला है।
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