क्या प्रधानमंत्री का ऐलान पर राकेश टिकैत भरोसा नहीं करते ? सुनिए क्या कहा उन्होंने ट्वीट में !
केंद्र सरकार के बनाए गए नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से किशानो ने टिकरी बॉर्डर सहित कई और बॉर्डरों पर डेरा डाल रखा था, मांग थी तीनो नए कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए । और आज 19 नवंबर के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के साथ सम्बोधन में ये साफ़ कर दिया की तीनो नए कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया है । आज देश के नाम सम्बोधन में मोदी ने कहा की इन तीनो कानूनों को केंद्र वापस ले रहा है, मोदी ने ये भी कहा की हम किसानो को समझ नहीं सके इसलिए इन कानूनों को वापस ले रहा है।
प्रधानमंत्री ने अपने भासन में कुछ इस अंदाज़ से दिया बयान
‘न जाने कितनी पीढ़िया जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन सपनों को पूरा करने का भरपूर प्रयास कर रहा है। साथियो, अपने 5 दशक के सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की परेशानियों को, उनकी चुनौतियों को बहुत करीब से देखा और महसूस किया है। इसलिए जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।साथियो, इस सच्चाई से बहुत से लोग अनजान हैं कि देश में 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी पूरी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। यही उनकी जिंदगी होती है और इस छोटी सी जमीन के सहारे ही वे अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में होने वाला बंटवारा इस जमीन को और छोटा कर रहा है, इसलिए देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत इन सभी पर चौतरफा काम किया है। सरकार ने अच्छी क्वॉलिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम-कोटेड यूरिया, सॉइल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा। हमने 22 करोड़ सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों को दिए। इस वैज्ञानिक अभियान के कारण एग्रीकल्चर प्रोडक्शन भी बढ़ा। हमने फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाया। इसके दायरे में ज्यादा किसानों को लाए। आपदा के समय ज्यादा से ज्यादा किसानों को आसानी से मुआवजा मिल सके, इसके लिए भी पुराने नियम बदले। इसके चलते बीते 4 सालों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा हमारे किसान भाई-बहनों को मिला है। हम छोटे किसानों और खेत में काम करने वाले श्रमिकों तक बीमा और पेंशन की सुविधा भी ले आए। छोटे किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सीधे उनके बैंक खाते में एक लाख 62 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए। देश ने अपने रूरल मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया। हमने एमएसपी तो बढ़ाई ही, साथ में रेकॉर्ड संख्या में सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। देश की एक हजार से ज्यादा मंडियों को इनाम योजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं से भी अपनी उपज बेचने का एक प्लेटफॉर्म दिया। इसके साथ ही हमने देशभर की कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए भी करोड़ों रुपये खर्च किए। आज केंद्र सरकार का कृषि बजट 5 गुना बढ़ गया है। हर वर्ष सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक कृषि पर खर्च किए जा रहे हैं।
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1 लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के माध्यम से गांव और खेत के नजदीक भंडारण इसकी व्यवस्था, कृषि उपकरण जैसी अनेक सुविधाओं का विस्तार ये सारी बातें तेजी से हो रही हैं। छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन संगठन बनाने का अभियान भी जारी है। इस पर भी करीब 7 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। माइक्रो इरिगेशन फंड के आवंटन को भी दोगुना करके दस हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। हमने क्रॉप लोन भी दोगुना कर दिया और इस वर्ष 16 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही हुई होगी जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। आज गुरुनानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को ये बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करेंगे।…एमएसपी को और अधिक कारगर, प्रभावी बनाने के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान, कृषि वैज्ञानिक और एक्सपर्ट होंगे। मैं गुरु गोविंद सिंह जी की भावना में अपनी बात समाप्त करूंगा- देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहूं न टरूं।’
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इस भसड़ के बाद तो जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे की ट्विटर और इंस्टाग्राम पर आग की एक लहार सी दौड़ गई। सभी राज नेताओ ने अपने ट्विटर हैंडल से अलग अलग प्रतिक्रियाए देने लगे।
“राकेश टिकैत आंदोलन खत्म न करने पर अडिग हैं”। उन्होंने कहा है कि उन्हें मोदी पर विश्वास नहीं है। टिकैत ने कहा कि पीएम ने 15-15 लाख रुपये देने का भी ऐलान किया था लेकिन आज तक कितनों को 15 लाख रुपये मिले?मोदी सरकार के इस बड़े फैसले के बाद आंदोलन का चेहरा बने राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा कि अभी आंदोलन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।’
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