JPSC Case

JPSC Case 60 अधिकारियों को नौकरी में रखना संभव नहीं है ! कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग का मंथन जल्द कोर्ट में रिपोर्ट सौप सकती है ।।

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JPSC संसोधित रिजल्ट में 60 छात्रों के नौकरी पुनः बहाल करने पर  सुप्रीम कोर्ट की ओर से  गए मंतव्य पर राज्य सरकार जल्द ही अपना पक्ष रखने वाली है। बताया जाता है की डेढ़ महीने के मंथन के बाद राज्य सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि छठी जेपीएससी के संशोधित रिजल्ट के कारण असफल घोषित किए गए 60 अधिकारियों को नौकरी में रखना संभव नहीं है। राज्य सरकार अपने इस मंतव्य से जल्द सुप्रीम कोर्ट को शपथ पत्र के माध्यम से अवगत कराएगी। इस मामले में 11 मई को सुनवाई होनी है। इससे पूर्व राज्य सरकार अपना पक्ष प्रस्तुत करेगी। जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गए सवाल पर राज्य के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने काफी मंथन किया। सरकार ने संबंधित विभागों को पत्र लिख कर वैकेंसी, रोस्टर की स्थिति व अन्य जानकारियां मांगी थी, ताकि कोर्ट के सवालों का जवाब दे सके। अंत में सरकार ने एडजस्टमेंट के विपरीत कोर्ट में जवाब देने का निर्णय लिया।

 

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छठी जेपीएससी द्वारा विभिन्न सेवा के कुल 326 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था। लेकिन आरोप लगा कि क्वालिफाइंग पेपर हिंदी और अंग्रेजी का मार्क्स जोड़ कर कई अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया। मामला डबल बेंच में पहुंचा। डबल बेंच ने 23 फरवरी को जेपीएससी को संशोधित रिजल्ट जारी करने को कहा। इसमें पूर्व में चयनित 60 अधिकारी मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए।गौरतलब है की छठी जेपीएससी के संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने के खिलाफ दाखिल एसएलपी पर 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। तब जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या संशोधित परिमाण के बाद नए चयनित के साथ-साथ बाहर हुए 62 अभ्यर्थियों नौकरी में बहाल रखा जा सकता है। इसको लेकर सरकार की क्या नीति है। क्या सरकार परिणाम के बाद बाहर हुए 62 अभ्यर्थियों को नौकरी में रखने की की मंशा रखती है।

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