Ranchi News:-राज्यपाल ने कहा,हाईकोर्ट बिल्डिंग ईंट व पत्थर की संरचना नहीं, निष्पक्षता का प्रतीक है
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प्रेरणा चौरसिया
Drishti Now Ranchi
न्यायपालिका, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के अनुसार, कानून का बचाव करती है और अपने वर्चस्व को बरकरार रखती है। कानूनी प्रणाली कानून के शासन को बनाए रखने, व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करने और कानूनी विवादों और सामाजिक अन्याय को हल करने के लिए काम करती है। न्यायपालिका वह जगह है जहां लोग न्याय मांगने जाते हैं; यह लोकतंत्र का मंदिर है।
झारखंड उच्च न्यायालय के लिए हाल ही में निर्मित यह भवन देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय भवन है। यह इमारत सिर्फ एक ईंट और पत्थर के निर्माण से कहीं अधिक है; यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों, एक न्यायपूर्ण समाज की नींव के लिए खड़ा है।
निष्पक्षता और कानून का अनुप्रयोग ऐसे आदर्श हैं जिनका वह प्रतिनिधित्व करता है। कानूनी व्यवस्था में भी तेजी लाने की सख्त जरूरत है। एक लोकप्रिय कहावत के अनुसार न्याय से वंचित न्याय में देरी है। उन्हें भरोसा है कि जमीन संबंधी विवाद तेजी से और निष्पक्षता से सुलझेंगे। हम उन वंचित आदिवासी लोगों की दुर्दशा के बारे में सोचेंगे जो ज़मानत और कानूनी समर्थन की कमी के कारण कैद हैं।
द्रौपदी मुर्मू बोलीं- अपने दिमाग से पिछड़ेपन की बात निकाल दें
राजभवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राज्य की आठ आदिम जनजाति समूह के लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं। खुलकर उनसे बातचीत कीं। आदिम जनजाति के लोगों ने भी राष्ट्रपति के समक्ष खुलकर अपनी बात रखी। राष्ट्रपति ने उन्हें प्रेरित करते हुए कहा कि पिछड़ेपन की मानसिकता न रखें। सरकार जब आपके द्वार पर जा रही है, तो आपको भी सरकार के पास अपनी बात रखनी चाहिए। विधायक और मुख्यमंत्री को बताएं कि आपकी क्या जरूरतें हैं।
राष्ट्रपति ने हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन समरोह में जाने से पहले बुधवार दोपहर में राजभवन में आठ आदिम जनजाति समूह के 48 लोगों से सीधी बात कीं। उनकी भावना और हौसला अफजाई करने के लिए माइक लेकर उसके बीच में चली गईं। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और राज्य के कई अधिकारी भी मौजूद थे।ं राष्ट्रपति ने इस दौरान सीएम से कहा कि जहां लोगों की समस्याएं हैं, अस्पताल और स्कूल अपग्रेड करने की जरूरत है, तो वे इस दिशा में पहल करें।
सीएम ने सकारात्मक कदम उठाने की बात कही। बताया कि सरकार क्या क्या काम कर रही है। पहाड़िया और असूर जनजाति के लोगों ने राष्ट्रपति को बताया कि वो लोग जहां रहते हैं, वह पहाड़ी क्षेत्र है। मरीजों को कहीं जाने में काफी परेशानी होती है। जब महिलाओं के मां बनने के दिन आते हैं, तो उनके लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहती है।
राजभवन के भीतर करीब एक घंटा तक चले इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने लोगों से पूछा कि कहां-कहां स्कूल की सुविधाएं उपलब्ध है ,कहां अभी भी अभाव है। जानना चाहा कि किन्हें अभी सरकारी योजनाओं का आवास नहीं मिला है। खाद्यान्न कौन-कौन लोग ले पा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समुदाय में लोग जल्दी शादी कर लेते हैं। लोग विकास की ओर प्रेरित हो और कम उम्र में शादी नहीं करें।
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