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रांची: श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी के नामकरण पर सियासी घमासान, भाजपा ने JMM पर साधा निशाना

रांची: श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी के नामकरण पर सियासी घमासान, भाजपा ने JMM पर साधा निशाना

रांची, 9 मई : झारखंड की राजधानी रांची में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर वीर बुधु भगत विश्वविद्यालय करने के हेमंत सोरेन सरकार के फैसले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस कदम को ‘राजनीतिक नौटंकी’ और ‘इतिहास के साथ खिलवाड़’ करार देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर तीखा हमला बोला है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने JMM सरकार पर परिवारवाद और आदिवासी सम्मान के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने मयूराक्षी नदी पर बने राज्य के सबसे बड़े पुल का नाम आदिवासी नायक बाबा तिलका मांझी के बजाय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के नाम पर रखा। इसी तरह, धोती-साड़ी योजना को भी सोना सोबरन के नाम से जोड़ा गया, जबकि आदिवासी महानायकों को नजरअंदाज किया गया। साह ने चुनौती दी कि अगर JMM वास्तव में वीर बुधु भगत का सम्मान करती है, तो शिबू सोरेन पुल का नाम बदलकर उनके नाम पर करे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “यह निर्णय न तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान का सम्मान करता है और न ही वीर बुधु भगत की वीरता को उचित पहचान देता। सरकार चाहती तो नए विश्वविद्यालय का नाम वीर बुधु भगत के नाम पर रख सकती थी।”
वहीं, JMM ने इस फैसले को झारखंड के वीर सपूतों का सम्मान बताया। मंत्री सुदिव्य सोनू और JMM समर्थक मुस्ताक ने कहा कि “अबुआ सरकार” ने वीर बुधु भगत को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
यह विवाद तब और गहरा गया, जब साह ने आरोप लगाया कि JMM का यह कदम देशभक्ति और आदिवासी सम्मान, दोनों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि सरकार यूनिवर्सिटी का नाम बदलने का फैसला वापस ले और प्रस्तावित नई लॉ यूनिवर्सिटी का नाम वीर बुधु भगत के नाम पर रखे।
गौरतलब है कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, भारतीय जनसंघ के संस्थापक और कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय के लिए बलिदान देने वाले नेता थे, जबकि वीर बुधु भगत झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी थे। इस नामकरण विवाद ने झारखंड की सियासत को और गर्मा दिया है, जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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