इजरायल-ईरान सीजफायर के बाद क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट, बाजार में राहत
इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम की घोषणा के बाद वैश्विक तेल बाजार में बड़ी राहत देखने को मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मंगलवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर किए गए ऐलान के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई। ब्रेंट क्रूड और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड की कीमतें 12 जून के स्तर से नीचे आ गईं, जब इजरायल ने ईरान पर हमला किया था।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार सुबह ब्रेंट क्रूड 2.9% की गिरावट के साथ 69.40 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जबकि WTI क्रूड 3% की कमी के साथ 66.48 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। कुछ समय के लिए दोनों ही कीमतें 6% से अधिक नीचे गिरकर 65 डॉलर के आसपास पहुंच गई थीं। यह गिरावट मध्य पूर्व में तनाव कम होने और होर्मुज जलडमरूमध्य पर तत्काल खतरे के टलने के बाद देखी गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि इजरायल और ईरान के बीच पूर्ण युद्धविराम पर सहमति बन गई है। हालांकि, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है, लेकिन ईरान संघर्ष को बढ़ाने में रुचि नहीं रखता, बशर्ते इजरायल अपनी “अवैध आक्रामकता” बंद करे। इस खबर के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी देखी गई, विशेष रूप से एशियाई बाजारों में रौनक लौटी। जापान के निक्केई और वॉल स्ट्रीट के शेयरों में उछाल दर्ज किया गया।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का सीधा फायदा तेल विपणन कंपनियों को हुआ है। भारत में बीपीसीएल, एचपीसीएल और आईओसीएल जैसी सरकारी तेल कंपनियों के शेयरों में 4% तक की तेजी देखी गई। निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स भी 1% से अधिक चढ़ा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युद्धविराम स्थिर रहता है, तो इन कंपनियों के शेयरों में और तेजी आ सकती है।
भारत अपनी जरूरत का 80% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है, भारत के लिए यह गिरावट राहत की खबर है। तेल की कीमतों में कमी से पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रहने और महंगाई पर नियंत्रण की उम्मीद बढ़ी है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार की दिशा अब मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर करेगी।