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सिमडेगा में खाट पर स्वास्थ्य व्यवस्था: ग्रामीणों की मजबूरी और सरकारी विफलता

शंभू कुमार सिंह

सिमडेगा जिले के पाकरटांड़ प्रखंड अंतर्गत चुंदयारी गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली एक बार फिर सामने आई है। 21वीं सदी में जहां दुनिया डिजिटल युग में कदम रख चुकी है, वहीं इस गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में मरीजों को खाट पर ढोकर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं। हाल ही में एक दुर्घटनाग्रस्त बुजुर्ग महिला को ग्रामीणों ने खाट पर कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया, जो इस क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं और सड़क सुविधाओं की दयनीय स्थिति को उजागर करता है।

तीन महीने पहले भी इसी गांव में एक गर्भवती महिला को खाट पर ढोकर अस्पताल ले जाने का मामला सुर्खियों में था। गांव में सड़क न होने के कारण एम्बुलेंस का पहुंचना असंभव है, जिसके चलते ग्रामीणों को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बार भी ग्रामीणों ने स्थानीय भाजपा नेता श्रद्धानंद बेसरा को सूचना दी, जिन्होंने सदर अस्पताल से एम्बुलेंस भेजवाने की व्यवस्था की। हालांकि, एम्बुलेंस कुछ किलोमीटर दूर एक अन्य गांव तक ही पहुंच सकी। इसके बाद एम्बुलेंस के खराब होने से स्थिति और जटिल हो गई। आखिरकार, ग्रामीणों ने अपने स्तर पर एक निजी वाहन की व्यवस्था कर मरीज को अस्पताल पहुंचाया।

भाजपा नेता श्रद्धानंद बेसरा ने इस घटना को लेकर झारखंड की अबुआ सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “झारखंड सरकार जनता को बुनियादी सुविधाएं देने में पूरी तरह विफल रही है। सदर अस्पताल में एम्बुलेंस सेवा के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार घोषणाएं तो करती है, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस है।” बेसरा ने यह भी कहा कि विशेष जिला के रूप में चयनित होने और जागरूक जनप्रतिनिधियों के बावजूद सिमडेगा में विकास की गति धीमी है, जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है।

चुंदयारी गांव के लोगों ने सरकार से सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की मांग की है। उनका कहना है कि सड़क के अभाव में न केवल स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी भी मुश्किल हो रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

सिमडेगा जैसे आकांक्षी जिले में इस तरह की घटनाएं न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं के धरातल पर कार्यान्वयन की कमी को भी उजागर करती हैं। यह घटना सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी सम्मानजनक जीवन जी सकें।

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