मां चंचला का तीन दिवसीय अष्टम वार्षिक महोत्सव का शुभारंभ.
जामताड़ा : जामताड़ा स्थित शक्तिपीठ मां चंचला का तीन दिवसीय अष्टम वार्षिक महोत्सव का शुभारंभ शनिवार को हुआ. यह कार्यक्रम 16 ,17 एवं 18 जनवरी तक होगा .पूरा शहर माता के जयकारे से दिनभर गूंजता रहा. कलश यात्रा मां चंचला मंदिर से शुरू हुआ. यात्रा के आगे-आगे मुख्य यजमान वीरेन्द्र मंडल आगे-आगे चल रहे थे. यात्रा मंदिर परिसर से निकलकर एनएसी मार्केट, स्टेशन रोड, वीर कुवंर सिंह चौक, सुभाष चौक, रेलवे पूल से बजरंगबली मंदिर पहुंचा. जहां से प्रदक्षिणा कर श्रद्धालु वापस उसी षष्टीतला, कायस्थपाड़ा मोड़, मेन बाजार, इन्दिरा चौक होते हुए मां के मंदिर तक पहुंचे. माता के वार्षिक शोभायात्रा में पूरे शहर की हजारों धार्मिक पुरुष व महिलाएं शामिल हुए.
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भव्य तरीके से सजाया गया है मां का दरबार, पूरे बाजार में लगाया गया है लाल पताका. महोत्सव को लेकर मां के दरबार को भव्य तरीके से सजाया गया है. कलश यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है. साथ हीं शनिवार को निर्धारित समय सुबह 09 बजे से हीं पूरा शहर भक्तिमय हो गया था. चारों और मंत्रोच्चार के साथ मां का जयकारा सुनाई दे रहा था. महोत्सव के मद्देनजर समिति के सैंकड़ों सदस्यों को उनका दायित्व सौंप दिया गया है. ताकि तीन दिवसीय महोत्सव के तहत आयोजित विभिन्न कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो. तीन दिवसीय कार्यक्रम 16, 17 एवं 18 जनवरी तक होगा.

रथ पर सवार मां चंचला की बेदी शोभा यात्रा में थी आकर्षण का केंद्र
कलश यात्रा में सबसे आगे रथ पर मां चंचला की बेदी स्थापित कर शोभा यात्रा में शामिल किया गया. जो भव्य और आकर्षण का केंद्र था. उसके साथ मुख्य यजमान के रूप में पूर्व नपं अध्यक्ष वीरेंद्र मंडल कलश के साथ थे. उनके साथ पांच ब्राह्मण ध्वजा के संग चल रहे थे. ध्वजा के पीछे महिला श्रद्धालु कलश लेकर पथ भ्रमण कर रही थी.

कलश यात्रा के दौरान शहर के विभिन्न जगहों में पुष्प वर्षा किया गया़ इस दौरान एरिया 6 के सदस्यों द्वारा पुष्प वर्षा किया गया था. महिलाओं के लिए सरबत की भी व्यवस्था थी. वहीं यात्रा के दौरान संताली नृत्य, ढाक दल, भक्ति संगीत एवं नृत्य टीम शोभा यात्रा में शामिल हुए जो माहौल को पूरी तरह से भक्तिमय बना दिया था. कलश यात्रा सहित सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान के लिए बंगाली यात्रा समिति, महिला समिति सहित अन्य संगठनों का पूर्ण सहयोग रहा.
जामताड़ा, अजय सिंह






