झामुमो प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने इंटरमीडिएट शिक्षा बंद करने के फैसले पर जताई नाराजगी, केंद्र सरकार से पूछा सवाल
झामुमो प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने इंटरमीडिएट शिक्षा बंद करने के फैसले पर जताई नाराजगी, केंद्र सरकार से पूछा सवाल
रांची, 25 जून : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने नई शिक्षा नीति के तहत झारखंड के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इंटरमीडिएट परीक्षा बंद करने के राज्यपाल के आदेश को “तुगलकी फरमान” करार देते हुए तीखी नाराजगी व्यक्त की है। बुधवार को एक प्रेस वार्ता में उन्होंने इस फैसले को छात्रहित के खिलाफ बताया और केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए।
षाडंगी ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत इंटरमीडिएट शिक्षा को कॉलेजों से हटाने का निर्णय अचानक लिया गया, जबकि इसके लिए 2026 तक की समय सीमा निर्धारित थी। उन्होंने इस फैसले को जल्दबाजी में लिया गया कदम बताते हुए कहा कि इससे लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या छात्रों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी केवल राज्य सरकार की है? क्या केंद्र सरकार को इसमें कोई सहयोग नहीं करना चाहिए? इसका जवाब केंद्र को देना चाहिए।”
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उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए हर पांच किलोमीटर के दायरे में स्कूलों में इंटरमीडिएट की वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था शुरू करने के निर्देश जारी किए हैं। साथ ही, आगामी दिनों में इसकी स्थायी व्यवस्था भी की जाएगी। हालांकि, षाडंगी ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार को भी शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की मदद करनी चाहिए, खासकर जब झारखंड जैसे राज्य में संसाधनों की कमी और आधारभूत ढांचे की चुनौतियां हैं।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो छात्रों और अभिभावकों में बढ़ता आक्रोश आंदोलन का रूप ले सकता है।