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झारखंड में मेडिकल कॉलेजों में भर्ती हेतु सुप्रीम कोर्ट के 6 जनवरी 2022 के फैसले का इंतज़ार ! 60 दिन पहले निकला था नीट एग्जाम का रिजल्ट

झारखंड में मेडिकल कॉलेजों के लिए कराए जाने वाले एग्जाम “नीट” का रिजल्ट जारी होने के बाद भी एडमिशन का प्रोसेस इस नए साल दिन 2 जनवरी 2022 तक भी शुरू नहीं हो सका है. इस झारखण्ड प्रदेश में आठ मेडिकल कॉलेज मौजूद हैं, जहां के MBBS कोर्स में एडमिशन NEET के रैंक के आधार पर ही होता है. ज्ञात हो की सुप्रीम कोर्ट में नीट एग्जाम के मामले में झारखंड राज्य में एडमिशन नहीं लिया जा रहा है. वही तमिलनाडु, गुजरात, असम, कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में एडमिशन के लिए काउंसलिंग भी पूरा करा लिया है. लेकिन अब झारखंड में एडमिशन के काउंसलिंग कब पूरा होगा इसके लिए आज भी इंतजार करना होगा.

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दरअसल मामला कुछ ऐसा है की झारखंड में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन करने के लिए नीट एग्जाम के रिजल्ट आने के बाद स्टेट मेरिट लिस्ट के आधार पर होता है. ये स्टेट मेरिट लिस्ट झारखंड के कंबाइंड एग्जामिनेशन बोर्ड बनता है. छात्रों से इसके लिए एप्लीकेशन जमा करवाया जाता है फिर इसके ही आधार पर स्टेट मेरिट लिस्ट बनाई जाती है. यहां बस एक एम्स ही है, जहां पर सेंट्रल मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमिशन लिया जाता है. लेकिन बाकि हर जगह स्टेट मेरिट लिस्ट के आधार पर ही एडमिशन लिया जाता है. लेकिन 01 नवंबर 2021 को रिजल्ट जारी होने के बाद भी झारखंड में अपने स्टेट मेरिट लिस्ट बनाने के लिए भी एप्लीकेशन की प्रक्रिया अभी तक शुरू भी नहीं की है. जबकि 6 से ज्यादा राज्यों ने अपने मेडिकल कॉलेज में मेरिट लिस्ट जारी भी कर दिया गया है और एडमिशन भी ले लिए गए है. लेकिन झारखंड राज्य के मेडिकल कोर्सेस के अभियार्थी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आज भी इंतजार कर रहा है.\

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बताते चले की NEET के एकम के जरिये निकले गए रिजल्ट के आधार पर ही पुरे देशभर के मेडिकल कॉलेजों की15 प्रतिशत सीटों पर सेंट्रल मेरिट लिस्ट के हिसाब से और वही बाकि की 85 प्रतिशत सीटों पर स्टेट मेरिट लिट्स के हिसाब से एडमिशन होता है. जैसा की ज्ञात हो की कुछ राज्यों में 85 प्रतिशत सीटों
के लिए एडमिशन प्रोसेस के लिए कौन्सेल्लिंग की भी प्रक्रिया शुरू कर ली है.

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ज्ञात हो की सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में इस मामले का मूल्यांकन कर रहा है कि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के हेतु ईडब्ल्यूएस (EWS) कोटे की 8 लाख रुपये मूल्य की सीमा कितनी अमल योग्य है. जिसके लिए इसी मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2022 को होनी है. बता दें कि अभी बर्तमान में EWS श्रेणी की सभी सीटें उन छात्रों के लिए सुरक्षित रखी गई हैं जिनकी पारिवार की आय आठ लाख रुपये से भी कम है. वही यदि EWS कोटा को संशोधित किया जाता है, तो इस के वजह से उन उम्मीदवारों की छात्र और छात्रों की संख्या भी बदल जाएगा जो कोटा से लाभ उठाने के योग्य होंगे और कॉलेज में प्रवेश को प्रभावित करेंगे, इसी लीये झारखण्ड में अभी तक एडमिशन काउंसलिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार चल रहा है.

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