पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से मांगी आर्थिक मदद, युद्ध और स्टॉक मार्केट संकट का हवाला
पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से मांगी आर्थिक मदद, युद्ध और स्टॉक मार्केट संकट का हवाला
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!डेस्क 9 मई: पाकिस्तान सरकार ने अपने आर्थिक मामलों के मंत्रालय, आर्थिक मामलों के प्रभाग के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से एक महत्वपूर्ण अपील जारी की है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से अधिक ऋण की मांग की है, जिसमें “दुश्मन द्वारा किए गए भारी नुकसान”, बढ़ते युद्ध के तनाव और स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट को कारण बताया गया है।
यह अपील ऐसे समय में आई है, जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही गंभीर संकट से जूझ रही है। हाल के महीनों में, खासकर 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, और इसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की शाखा ‘द रेजिस्टेंस फोर्स’ ने ली थी।
आर्थिक संकट और स्टॉक मार्केट में गिरावट
पाकिस्तान का कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE-100 इंडेक्स) हाल के हफ्तों में भारी गिरावट का शिकार हुआ है। 24 अप्रैल को KSE-100 इंडेक्स में 2,485 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, और 29 अप्रैल तक यह 114,007.40 अंकों पर कारोबार कर रहा था। इस अवधि में पाकिस्तानी शेयर बाजार को लगभग 70,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
भारत द्वारा उठाए गए कूटनीतिक और आर्थिक कदमों, जैसे सिंधु जल संधि को निलंबित करना, द्विपक्षीय व्यापार पर रोक, और अटारी बॉर्डर को बंद करना, ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। मूडीज रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी दी है कि यदि तनाव बढ़ता है, तो पाकिस्तान की बाहरी फंडिंग क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और गहरे संकट में फंस सकती है।
अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 1.1 अरब डॉलर की अगली किस्त की उम्मीद जताई है, जिस पर 9 मई, 2025 को होने वाली IMF की कार्यकारी बोर्ड की बैठक में फैसला लिया जाएगा। इसके अलावा, पाकिस्तान ने चीन से अपनी स्वैप लाइन को 30 अरब युआन से बढ़ाकर 40 अरब युआन करने की अपील की है, लेकिन इस पर चीन ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार वर्तमान में केवल 13.15 अरब डॉलर है, जो दो महीने के आयात के लिए भी अपर्याप्त है। देश पर कुल 131.1 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज है, जो उसकी जीडीपी का 42% है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के साथ बढ़ता तनाव और आर्थिक प्रतिबंध पाकिस्तान को श्रीलंका जैसे संकट की ओर धकेल सकते हैं। मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हाल के सुधार, जैसे मुद्रास्फीति में कमी और GDP में धीमी वृद्धि, क्षेत्रीय शांति के बिना टिकाऊ नहीं होंगे।
पाकिस्तान सरकार की इस अपील पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया और IMF की बैठक के परिणाम आने वाले दिनों में देश की आर्थिक दिशा तय करेंगे।






